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________________ 120 अंग-पविट्ट सुत्ताणि जयं // 1 // मुहुत्ताणं मुहुत्तस्स मुहुत्तो होइ तारिसो पराजियाऽवसप्पामो इइ भीरू उवेहई // 2 // एवं उ समणा एगे अबलं णच्चाण अप्पगं / अणागयं भयं दिस्स अवकप्पंतिमं सुयं // 3 // को जाणइ विऊवायं इत्थीओ उदगाउ वा। चोइज्जता पवाखामो ण णो अत्थि पकप्पियं // 4 // इच्चेव पडिलेहंति वलया पडिलेहिणो। वितिगिच्छसमावण्णा पंथाणं च अकोविया // 5 / / जे उ संगामकालम्मि णाया सूरपुरंगमा। णो ते पिट्ठमुवेहिंति किं परं मरणं सिया ? // 6 // एवं समुट्ठिए भिक्खू वोसिज्जागारबंधणं / आरम्भं तिरिय कटु अत्तत्ताए परिव्वए // 7 // तमेगे परिभासंति भिक्खुयं साहुजीविणं / जे एवं परिभासंति अंतए ते समाहिए // 8 // संबद्धसमकप्पा उ अण्णमण्णेसु मुच्छिया / पिण्डवायं गिलाणस्स जं सारेह दलाह य / / 9 // एवं तुब्भे सरागत्था अण्णमण्णमणुब्बसा / णट्ठसप्पहसब्भावा संसारस्स अपारगा // 10 // अह ते परिभासेजा भिक्खु मोक्खविसारए / एवं तुब्भे पभासंता दुपक्खं चेव सेवह // 11 // तुम्भे भंजह पाएसु गिलाणो अभिहडम्मि य / तं च बीओदगं भोच्चा तमुहिस्सादि जंकडं // 12 / / लित्ता तिव्वाभितावेणं उज्झिया असमाहिया / णाइकण्डूइयं सेयं अरुयस्सावरज्झई / / 13 / / तत्तेण अणुसिट्टा ते अपडिण्णेण जाणया। ण एस णियए मग्गे असमिक्खा वई किई // 14 // एरिसा जा वई एसा अग्गवेणु व करिसिया / गिहिणो अभिहाँ सेयं भुंजिउं ण उ भिक्खुणं / / 15 / / धम्मपण्णवणा जा सा सारम्भा ण विसोहिया। ण उ एयाहि दिट्ठीहिं पुवमासिं पगप्पियं // 16 // सव्वाहिं अणुजुत्तीहिं अचयंता जवित्तए / तओ वायं णिराकिच्चा ते भुजो वि पगब्भिया // 17|| रागदोसाभिभूयप्पा मिच्छत्तण अभिया / आउसे सरणं जंति टंकणा इव पव्वयं // 18 // बहुगुणप्पगप्पाई कुज्जा अत्तसमाहिए / जेणण्णे ण विरुज्झेज्जा तेण तं तं समायरे // 19 // इमं च धम्ममायाय कासवेण पवेइयं / कुज्जा भिक्खू गिलाणस्स अगिलाए समाहिए // 20 // संखाय पेसलं धम्म दिट्ठिमं परिणिबुडे / उवसग्गे णियामित्ता आमोक्खाए परिव्वएज्जासि // 21 / / त्ति बेमि / / // तइयं अज्झयणं चउत्थो उद्देसो॥ . आहेसु महापुरिसा पुट्विं तत्ततवोधणा / उदएण सिद्धिमावण्णा तत्थ मंदो विसीयइ // 1 // अभुजिया णमी विदेही रामगुत्ते य भुजिया / बाहुए उदगं भोचा
SR No.004390
Book TitleAngpavittha Suttani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatanlal Doshi, Parasmal Chandaliya
PublisherAkhil Bharatiya Sadhumargi Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year1982
Total Pages1476
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, agam_acharang, agam_sutrakritang, agam_sthanang, agam_samvayang, agam_bhagwati, agam_gyatadharmkatha, agam_upasakdasha, agam_antkrutdasha, & agam_anutta
File Size23 MB
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