________________ 1312 अंग-पविट्ठ सुत्ताणि समणोवासयं एवं वयासी-एवं खलु देवाणुप्पिया ! समणे भगवं महावीरे एवमाइक्ख इ भासइ पण्णवेइ परूवेइ-णो खल कप्पइ देवाणुप्पिया ! समणो. वासगस्स अपच्छिम जाव वागरित्तए, तुमे णं देवाणुप्पिया! रेवई गाहावइणी संतेहि जाव वागरिया, तं गं तुमं देवाण प्पिया! एयरस ठाणस्स आलोएहि जाव पडिवज्जाहि' / तए णं से महासयए समणोवासए भगवओ गोयमस्स 'तह' त्ति एयमठें विणएणं पडिसुणेइ, पडिसुणेत्ता तस्स ठाणस्स आलोएइ जाव अहारिहं च पायच्छित्तं पडिवज्जइ / तए गं से भगवं गोयमे महासयगस्स समणोवासयस्स अंतियाओ पडिणिक्खमइ, पडिणिक्खमित्ता रायगिह णयरं मज्झमझेणं णिग्गच्छइ, णिग्गच्छित्ता जेणेव समणे भगवं महावीरे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता समणं भगवं महावीरं वंदइ णमंसइ, वंदिता णमंसित्ता संजमेणं तवसा अप्पाणं मावेमाणे विहरइ / तए णं समणे भगवं महावीरे अण्णया कयाइ रायगिहाओ णयराओ पडिणिक्ख मइ, पडिणिक्खमित्ता बहिया जणवयविहारं विहरइ // 67 // तए णं से महासयए समणोवासए बहूहिं सील-जाव भावेत्ता वीसं वासाई समणोवासयपरियायं पाउणित्ता एक्कारस उवासगपडिमाओ सम्मं कारणं फासित्ता मासियाए संलेहणाए अप्पाणं झूसित्ता सद्धि भत्ताई अणसणाए छेदेत्ता आलोइयपडिक्कते समाहिपत्ते कालमासे कालं किच्चा सोहम्मे कप्पे अरुणडिसए विमाणे देवत्ताए उववण्णे / चत्तारि पलि. ओवमाई ठिई / महाविदेहेवासे सिज्झिहिइ // 68 // णिक्खेवो // / अट्ठमं अज्झयणं समत्तं / / णंदिणीपिया णामं णवमं अज्झयणं णवमस्स उक्खेवो / एवं खलु जम्बू ! तेणं कालेणं तेणं समएणं सावत्थी णयरी / कोट्ठए चेइए जियसन्त राया। तत्थ णं सावत्थीए णयरीए णंदिणी. पिया णाम गाहावई परिवसइ, अड्ढे। चत्तारि हिरण्णकोडोओ णिहाणपुउत्ताओ, चत्तारि हिरण्णकोडीओ वृड्डिपउत्ताओ, चत्तारि हिरण्णकोडीओ पवित्थर. पउत्ताओ, चत्तारि वया दसगोसाहस्सिएणं वएणं / अस्सिणी भारिया / सामी समोसढे / जहा आणंदो तहेव गिहिधम्म पडिवज्जइ / सामी ब्रहिया विहरइ /