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________________ 114 अंग-पविट्ठ सुत्ताणि सम्म रक्खए / चरियासणसेज्जासु भत्तपाणे य अंतसो // 11 // एए हिं तिहिं ठाणेहिं संजए सययं मुणी / उक्कसं जलणं णूमं मज्झत्थं च विगिंचए // 12 // समिए उ सया साहू पंचसंवरसंवुडे / सिए हिं असिए भिक्खू आमोक्खाए परिव्वएज्जासि // 13 / / त्ति बेमि / वेयालिए णाम बीअं अज्झयणं पढमो उद्देसो . संबुज्झह किं ण बुज्झह संबोही खलु पेच दुल्लहा। णो हावणमंति राइयो णो सुलभं पुणरावि जीवियं / / 1 / / डहरा बुड्ढा य पासह गब्भत्था वि चयंति माणवा / सेणे जह वयं हरे एवं आउखयम्मि तुट्टई // 2 // मायाहि पियाहि लुप्पई णो सुलहा सुगई य पेच्चओ। एयाइ भयाइ पेहिया आरम्भा विरमेज सुव्वए // 3 // जमिणं जगई पुढो जगा कम्मेहिं लुप्पंति पाणिणो। सयमेव कडेहि गाहई जो तस्स मुच्चेजऽपुट्ठयं // 4 / / देवा गंधव्वरक्त्रसा असुरा भूमिचरा सरी सिवा / राया गरसेट्ठिमाहणा ठाणा ते वि चयंति दुक्खिया // 5 // कामेहि य संथवेहि गिद्धा कम्मसहा कालेण जंतवो / ताले जह बंधणच्चुए एवं आउखयम्मि तुट्टई // 6 // जे यावि बहुस्सुए सिया धम्मिय माहण भिक्खुए सिया / अमिणूमकडेहि मुच्छिए तिव्वं ते कम्मेहिं किच्चई // 7 // अह पास विवेगमुट्ठिए अविइण्णे इह भासई धुवं / णाहिसि आरं कओ परं वेहासे कम्मेहिं किच्चई / / 8 // जइ वि य णगिणे किसे चरे जइ वि य भुजिय मासमंतसो / जे इह मायाइ मिज्जई आगता गब्भाय गंतसो // 9 // पुरिसोरम पावकम्मुणा पलियंतं मणुयाण जीवियं / सण्णा इह काममुच्छिया मोहं जंति णरा असंवुडा // 10 // जययं विहराहि जोगवं अणुपाणा पंथा दुरुत्तरा / अणुसासणमेव पक्कमे वीरेहिं सम्मं पवेइयं / / 11 // विरया वीरा समुट्ठिया कोहकायरियाइपीसणा / पाणे ण हणंति सव्वसो पावाओ विरयाऽभिणिवुडा / / 12 / / ण वि ता अहमेव लुप्पए लुप्पंती लोगंसि पाणिणो। एवं सहि एहिं पासए अणि हे से पुढेऽहियासए // 13 / / धुणिया कुलियं व लेववं किसए देहमणासणाइहिं / अविहिंसामेव पव्वए अणुधम्मो मुणिणा पवेइओ // 14 / / सउणी जह पंसुगुण्डिया विहुणिय धंसयई सियं रयं / एवं दविओवहाणवं कम्मं खवइ तवस्सि माहणे // 15 / / उठ्ठियमणगारमेसणं समणं ठाणठियं तवस्सिणं / डहरा बुड्डा य पत्थए अवि सुस्से ण य तं लभेज णो // 16 // जइ कालुणियाणि कासिया जइ
SR No.004390
Book TitleAngpavittha Suttani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatanlal Doshi, Parasmal Chandaliya
PublisherAkhil Bharatiya Sadhumargi Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year1982
Total Pages1476
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, agam_acharang, agam_sutrakritang, agam_sthanang, agam_samvayang, agam_bhagwati, agam_gyatadharmkatha, agam_upasakdasha, agam_antkrutdasha, & agam_anutta
File Size23 MB
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