________________ सूयगडो सु. 1 अ. 1 उ. 2 111 विमुच्चई // 19 // ते णावि संधिं णच्चा णं ण ते धम्मविऊ जणा। जे ते उ वाइणो एवं ण ते ओहंतराऽऽहिया // 20 // ते णावि संधिं णचा णं, ण ते धम्म विऊ जणा। जे ते उ वाइणो एवं ण ते संसारपारगा // 21 // ते णावि संधिं णच्या णं, ण ते धम्मविऊ जणा / जे ते उ वाइणो एवं ण ते गम्भस्स पारगा // 22 // ते णावि संधि णचा णं, ण ते धम्मविऊ जणा / जे ते उ वाइणो एवं ण ते जम्मस्स पारगा // 23 // ते णावि संधिं णचा णं, ण ते धम्मविऊ अणा / जे ते उ वाइणो एवं ण ते दुक्खस्स पारगा // 24 // ते णावि संधिं णच्चा णं, ण ते धम्मविऊ जणा / जे ते उ वाइणो एवं ण ते मारस्स पारगा // 25 // णाणाविहाई दुक्खाई अणुहोति पुणो पुणो। संसारचक्कवालम्मि मच्चुवाहिजराकुले // 26 // उच्चावयाणि गच्छंता गन्भमेस्संति णंतसो / णायपुत्ते महावीरे एवमाह जिणुत्तमे // 27 // त्ति बेमि / ॥बीओ उद्देसो॥ आघायं पुण एगेसिं उववण्णा पुढो जिया / वेदयति सुहं दुक्खं अदुवा लुप्पंति ठाणओ ॥१॥ण.त सयं कडं दुक्खं कओ अण्णकडं च णं / सुहं वा जइ वा दुक्खं सेहियं वा असेहियं // 2 // सयं कडं ण अण्णेहिं वेदयंति पुढो जिया / संगइयं तं तहा तेसिं इहमेगेसिमाहियं // 3 // एवमेयाणि जम्पंता बाला पण्डियमाणिणो / णिययाणिययं संतं अयाणंता अबुद्धिया // 4 // एवमेगे उ पासत्था ते भुजो विप्पग्रब्भिया / एवं उवट्ठिया संता ण ते दुक्खविमोक्खया // 5 // जविणो मिगा जहा संता परियाणेण वज्जिया / असंकियाई संकंति संकियाइं असंकिणो // 6 // परियाणियाणि संकंता पासियाणि असंकिणो। अण्णाणभयसंविग्गा संपलिंति तहिं तहिं॥७॥ अह तं पवेज्ज वज्झं अहे वज्झस्स वा वए / मुच्चेज्ज पयपासाओ तं तु मंदे ण देहई // 8 // अहियप्पाऽहियपण्णाणे विसमंतेणुवागए / स बद्धे पयमासेणं तत्थ घायं णियच्छइ // 9 // एवं तु समणा एगे मिच्छदिट्ठी अणारिया / असंकियाई संकंति संकियाइं असंकिणो // 10 // धम्मपण्णवणा जा सा तं तु संकंति मूढगा। आरम्भाई ण संकंति अवियत्ता अकोविया // 11 // सव्वप्पगं विउक्कस्सं सव्वं मं विहूणिया / अप्पत्तियं अकम्मंसे एयमढे मिगे चुए // 12 // जे एयं णाभिजाणंति मिच्छदिट्ठी अणारिया। मिगा वा पासबद्धा ते घायमेस्संतिणंतसो // 13 // माहणा समणा एगे सव्वे गाणं संयं वए। सबलोगे वि जे पाणा, ण ते जाणंति किंचण॥१४॥