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________________ सूयगडो पढमो सुयक्खंधो समयज्झयणे पढमे * बुज्झिज्ज त्ति तिउट्टिज्जा बन्धणं परिजाणिया / किमाह वधंणं वीरो किं वा जाणं तिउठ्इ // 1 // चित्तमंतमचित्तं वा परिगिज्झ किसामवि / अण्णं वा अणुजाणाइ एवं दुक्खा ण मुच्चई // 2 // सयं तिवायए पाणे अदुवाऽण्णेहि घायए / हणंतं वाऽणुजाणाइ वेरै वड्डेइ अप्पणो // 3 // जस्सिं कुले समुप्पण्णे जेहिं वा संवसे ण रे / ममाइ लुप्पई बाले अण्णे अण्णेहिं मुच्छिए // 4 // वित्तं सोयरिया चेव, सव्वमेयं ण ताणइ / संखाए जीवियं चेव, कम्मुणा उ तिउट्टइ / / 5 // एए गंथे विउक्कम्म एगे समणमाहणा / अयाणंता विउस्सित्ता सत्ता कामेहि माणवा // 6 // संति पंच महब्भूया इहमेगेसिमाहिया / पुढवी आउ तेऊ वा वाउ आगासपंचमा // 7 // एए पंच महब्भूया तेब्भो एगो त्ति आहिया / अह तेसिं विणासेणं विणासो होइ देहिणो // 8 // जहा य पुढवीथूभे एगे णाणाहि दीसइ / एवं भो ! कसिणे लोए विण्णू णाणाहि दीसइ // 9 // एवमेगे त्ति जम्पंति मंदा आरम्भणिस्सिया / एगे किच्चा सयं पावं तिव्वं दुक्खं णियच्छइ // 10 // पत्तेयं कसिणे आया जे बाला जे य पण्डिया / संति पिच्चा ण ते संति णत्थि सत्तोववाइया // 12 // णत्थि पुण्णे व पावे वा णत्थि लोए इओवरे / सरीरस्स विणासेणं विणासो होइ देहिणो॥१२।। कुव्वं च करायं चेव सव्वं कुव्वं ण विज्जई। एवं अकारओ अप्पा एवं ते उ पगन्भिया // 13 // जे ते उ वाइणो एवं लोए तेसिं कओ सिया / तमाओ ते तमं जंति मंदा आरम्भणिस्सिया // 14 // संति पंच महब्भूया इहमेगेसि आहिया / आयट्ठा पुणो आह आया लोगे य सासए // 15 / / दुहओ ण विणस्संति णो य उप्पज्जए असं / सव्वे वि सव्वहा भावा णियत्तीभावमागया // 16 // पंच खंधे वयंतेगे बाला उ खणजोइणो / अण्णो अणण्णो णेवाहु हेउयं च अहेउयं // 17 // पुढवी आउ तेऊ य तहा वाऊ य एगओ। चत्तारि धाउणो रूवं एंवमाहंसु आवरे // 18 // अगारमावसंता वि अरण्णा वा वि पव्वया। इमं दरिसणमावण्णा सव्वदुक्खा
SR No.004390
Book TitleAngpavittha Suttani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatanlal Doshi, Parasmal Chandaliya
PublisherAkhil Bharatiya Sadhumargi Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year1982
Total Pages1476
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, agam_acharang, agam_sutrakritang, agam_sthanang, agam_samvayang, agam_bhagwati, agam_gyatadharmkatha, agam_upasakdasha, agam_antkrutdasha, & agam_anutta
File Size23 MB
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