________________ आयारो सु. 2 अ. 16 109 भंते ! महत्वयं // 1081 // इच्चेएहिं पंचमहव्वएहिं पणवीसाहिं य भावणाहिं संपण्णे अणगारे अहासुयं अहाकप्पं अहामग्गं सम्मं काएण फासित्ता, पालित्ता, तीरित्ता, किट्टित्ता, आणाए आराहित्ता यावि भवइ // 1082 // पणरहम अज्झयणं समत्तं // // विमुत्ती णाम सोलसमं अज्झयणं / अणिचमावासमुवेंति जंतुणो, पलोयए सुच्चमिदं अणुत्तरं; विऊसिरे विष्णु अगारबंधणं, अभीरु आरंभपरिग्गहं चए / 1083 // तहागय भिक्खुमणंतसंजयं, अणेलिसं विष्णु चरंतमेसणं; तुदंति वायाहिं अभिवं णरा, सरेहिं संगामगयं व कुंजरं // 1084 // तहप्पगारेहिं जणेहिं हीलिए, ससद्दफासा फरुसा उईरिया; तितिक्खए णाणि अदुट्ठचेयसा, गिरिव्व वाएण ण संपवेयए // 1085 // उवेहमाणे कुसलेहिं संवसे, अकंतदुक्खी तसथावरा दुही; अलूसए सव्वसहे महामुणी, तहा हि से सुस्समणे समाहिए // 1086 // विऊ णए धम्मपयं अणुत्तरं, विणीयतण्हस्स मुणिस्स ज्झायओ; समाहियस्सऽग्गिसिहा व तेयसा, तवो य पण्णा य जसो य वड्इ // 1087 // दिसोदिसिंऽणंतजिणेण ताइणा, महव्वया खेमपया पवेइया; महागुरू णिस्सयरा उईरिया, तमेव तेऊत्तिदिसं पगासया // 1088 // सिएहिं भिक्खू असिए परिव्वए, असज्जमित्थीसु चएज्ज पूयणं; अणिस्सिओ लोगमिणं तहा परं, णमिज्जइ कामगुणेहिं पंडिए // 1089 // तहा विमुक्कस्स परिणचारिणो धिईमओ दुक्खखमस्स भिक्खुणो; विसुज्झई जंसि मलं पुरेकडं, समीरियं रुप्पमलं व जोइणा // 1090 / / से हु प्परिण्णा समयंमि वट्टइ, णिराससे उवरय मेहुणा चरे; भुयंगमे जुण्णतयं जहा जहे, विमुच्चइ से दुहसेज माहणे // 1091 // जमाहु ओहं सलिलं अपारय, महासमुहं व भुयाहिं दुत्तरं; अहे य णं परिजाणाहि पंडिए, से हु मुणी अंतकडे त्ति वुच्चइ // 1092 // जहा हि बद्धं इह माणवेहिं, जहा य तेसिं तु विमोक्ख आहिओ; अहा तहा बंधविमोक्ख जे विऊ, से हु मुणी अंतकडे त्ति वुच्चइ // 1093 // इमंमि लोए परए य दोसुवि, ण विज्जइ बंधणं जस्स किंचिवि; से हु णिरालंबणमप्पइट्ठिए, कलंकली भावपहं विमुच्चइ त्ति बेमि // 1094 / / सोलसमं विमुत्तिज्झयणं समत्तं / / सदाचार णाम बीओ सुयक्खंधो संपुण्णो // * इइ आयारो*