________________ आयारो सु. 2 अ. 15 107 संतिभेवा संतिविभंगा संतिकेवलीपण्णत्ताओ धम्माओ भंसेज्जा, णो णिग्गंथेणं अभिक्खणं 2 इत्थीणं कहं कहित्तए सिय त्ति पढमा भावणा / / 1059 / / अहावरा दोचा भावणा, णो णिग्गंथे इत्थीणं मणोहराई 2 इंदियाई आलोएत्तए णिज्झाइत्तए सिया, केवली बूया, णिग्गंथे णं इत्थीणं मणोहराई 2 इंदियाई आलोएमाणे णिज्झाएमाणे संतिभेया संतिविभंगा जाव धम्माओ भंसेज्जा, पो णिग्गंथे इत्थीणं मणोहराइं 2 इंदियाइं आलोएत्तए णिज्झाइत्तए सिय त्ति दोचा भावणा // 1060 // अहावरा तचा भावणा, णो णिग्गंथे इत्थीणं पुव्वरयाई पुवकीलियाई सुमरित्तए सिया, केवली बूया, णिग्गंथे णं इत्थीणं पुव्वरयाई पुव्वकीलियाई सरमाणे संतिभेया जाव भंसेज्जा, णो णिग्गंथे इत्थीणं पुव्वरयाई पुव्वकीलियाई सरित्तए सिय त्ति तच्चा भावणा / / 1061 // अहावरा चउत्था भावणा, णाइमत्तपाणभोयणभोई से जिग्गंथे णो पणीयरसभोयणभोई, केवली बूया, अइमतपाणभोयणभोई से णिग्गंथे पणीयरसभोयणभोई य संतिभेया जाव भंसेज्जा, णोऽतिमत्तपाणभोयणभोई से णिग्गंथे, णो पणीयरसभोयणभोई त्ति चउत्था भावणा, // 1062 // अहावरा पंचमा भावणा, णो णिग्गंथे इत्थीपसुपंडगसंसत्ताई सयणासणाई सेवित्तए सिया, केवली बूया, णिग्गंथेणं इत्थीपसुपंडगसंसत्ताई सयणासणाई सेवेमाणे संतिभेया जाव भंसेज्जा, णो णिग्गंथे इत्थीपसुपंडगसंसत्ताई सयणासणाई से वित्तए सियत्ति पंचमा भावणा / / 1063 // एतावताव चउत्थै महव्वए सम्म कारण फासिए जाव आराहिए या वि भवइ, चउत्थं भंते ! महव्वयं० // 1064 / / अहावरं पंचमं भंते ! महव्वयं सव्वं परिग्गरं पञ्चक्खाभि, से अप्पं वा, बहुं वा, अणुं वा, थूलं वा, चित्तमंतं वा, अचित्तमंतं वा, णेव सयं परिग्गह गिण्हेज्जा, णेवण्णेहिं परिग्गहं गिहाविजा, अण्णंपि परिग्गहं गिण्हतं ण समणुजाणिज्जा, जाव वोसिरामि // 1065 // तस्सिमाओ पंच भावणाओ भवति / तत्थिमा पढमा भावणा, सोयओणं जीवे मणुण्णामणुण्णाइं सहाई सुणेइ, मणुण्णामणुण्णेहिं सद्देहिं णो सज्जेज्जा, णो रज्जेज्जा, णो गिज्झेज्जा, णो मुज्झेज्जा, णो अज्झोववजेज्जा, णो विणिग्यायमावजेजा, केवली बूया, णिग्गथेणं मणुण्णामणुण्णेहिं सद्देहिं सज्जमाणे जाव विणिग्घायमावज्जमाणे संतिभेया संतिविभंगा संतिकेवलिपण्णत्ताओ धम्माओ भंसेज्जा // 1066 / / ण सक्का ण सोउं सहा, सोयविसयमागया; रागदोसा उ जे