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________________ 106 अंग-पविट्ठ सुत्ताणि अरण्णे वा, अप्पं वा, बहुं वा, अणुं वा, थूलं वा, चित्तमंतं वा, अचित्तमंतं वा, णेव सयं अदिण्णं गिण्हिज्जा, णेवण्णेहिं अदिण्णं गेण्हावेजा. अण्णंपि * अदिण्णं गिण्हतं ण समणुजाणिज्जा जावज्जीवाए जाव वोसिरामिः // 1050 // तस्सिमाओ पंच भावणाओ भवंति तत्थिमा पढमा भावणा, अणुवीइ मिउग्गहं जाई से णिग्गंथे णो अणणुवीई मिउग्गहं नाई से णिग्गंथे केवली बूया अणणुवीई मिउग्गहं जाई से णिग्गंथे अदिण्णं गिण्हेजा अणुवीइमिउग्गहं जाई से णिग्गंथे णो अणणुवीइमिउग्गहं जाई त्ति पढमा भावणा // 1051 // अहावरा दोच्चा भावणा, अणुण्णवियपाणभोयणभोई से णिग्गंथे णो अणगुण्णवियपाणभोयणभोई, केवली बूया, अणणुण्णवियपाणझोयणभोई से णिग्गंथे, अदिण्णं भुजेज्जा, तम्हा अणुण्णवियपाणभोयणभोई से णिगंथे णो अणणुण्णवियपाणभोयणभोई त्ति दोच्चा भावणा // 1052 // अहा. बरा तच्चा भावणा, णिग्गंथे णं उग्गहंसि उग्गहियसि एतावताव उग्गहणसीलए सिया, केवली बूया, णिग्गंथे णं उग्गहंसि अणुग्गहियंसि एतावताव अणुग्गहणसीले अदिण्णं उगिण्हेजा णिग्गंथेणं उग्गहंसि उग्गहियंसि एतावताव उग्गहणसीलए सियत्ति तच्चा भावणा // 1053 // अहावरा चउत्था भावणा, णिग्गथेणं उग्गहंसि उग्गहियंसि अभिक्खणं.२ उग्गहणसीलए सिया, केवली बूया, णिग्गंथेणं उग्गहंसि उग्गहियसि अभिक्खणं 2 अणोग्गहणसीले अदिण्णं गिण्हेजा णिग्गंथे उग्गहंसि उग्गहियंसि अभिक्खणं 2 उग्गहणसीलए सिय त्ति चउत्था भावणा // 1054 // अहावरा पंचमा भावणा, अणुवीइमिउग्गहजाई से णिग्गंथे साहम्मिएसु णो अणणुवीइमिउग्गहजाई, केवली बूया, अणणुवीइमिउग्गहजाई से णिग्गंथे साहम्मिएसु अदिण्णं उगिण्हेज्जा, अणुवीइमिउग्गहजाई से णिग्गंथे साहम्मिएसु णो अणणुवीइमिउग्गहजाई इइ पंचमा भावणा / / 1055 // एतावताव तच्चे महत्वए सम्मं जाव आणाए आराहिए यावि भवइ, तचं भंते ! महव्वयं // 1056 / / अहावरं चउत्थं महव्वयं पञ्चक्खामि सव्वं मेहुणं, से दिव्वं वा, माणुसं वा, तिरिक्खजोणियं वा, णेव सयं मेहुणं गच्छेज्जा तं चेव अदिण्णादाणवत्तव्वया भाणियव्वा, जाव वोसिरामि // 1057 // तस्सिमाओ पंचं भावणाओ भवंति // 1058 // तत्थिमा पढमा भावणा, णो णिग्गंथे अभिक्खणं 2 इत्थीम कहं कहइत्तए सिया, केवली बूया, णिग्गंथेणं अभिक्खणं 2 इत्थीणं कहं कहेमाणे
SR No.004390
Book TitleAngpavittha Suttani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatanlal Doshi, Parasmal Chandaliya
PublisherAkhil Bharatiya Sadhumargi Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year1982
Total Pages1476
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, agam_acharang, agam_sutrakritang, agam_sthanang, agam_samvayang, agam_bhagwati, agam_gyatadharmkatha, agam_upasakdasha, agam_antkrutdasha, & agam_anutta
File Size23 MB
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