________________ आयारो सु. 2 अ. 15 105 आयाणभंडमत्तणिक्खेवणाअसमिए त्ति चउत्था भावणा // 1038 // अहावरा पंचमा भावणा, आलोइयपाणभोयणभोई से णिग्गथे, णो अणालोइयपाणभोयणभोई, केवली बूया, अणालोइयपाणभोयणभोई से णिग्गंथे पाणाई वा 4 अभिहणेज्ज वा जाव उद्दवेज वा, तम्हा आलोइयपाणभोयणभोई से णिग्गंथे, णो अणालोइयपाणभोयणभोई त्ति पंचमा भावणा // 1039 // एयावता (पढमे) महव्वए सम्म काएण फासिए पालिए तीरिए किट्टिए अवढ़िए आगाए आराहिए यावि भवइ // 1040 / / पढमे भंते ! महव्वए पाणाइवायाओ वेरमणं / / 1041 // अहावरं दोचं महव्वयं पञ्चक्खामि सव्वं मुसावायं वइद्दोस से कोहा वा, लोहा वा, भया वा, हासा वा, णेव सयं मुसं भासेजा, णेवण्णेणं मुसं भासावेज्जा, अण्णं पि मुसं भासंतं ण समगुजाणेजा, तिविहं तिविहेणं मणसा वयसा कायसा तस्स भंते ! पडिकमामि जाव वोसिरामि // 1042 // तस्सिमाओ पंचभावणाओ भवंति // 1043 / तत्थिमा पढमा भावणा, अणुवीइभासी से णिग्गंथे णो अणणुवीईभासी; केवली बूया अणणुवीइभासी से णिग्गंथे समावजिज्ज मोसं वयंणाए, अणुवीइभासी से णिग्गंथे, णो अणणुवीइभासि त्ति पढमा भावणा // 1044|| अहावरा दोच्चा भावणा, कोहं परिजाणाइ से णिग्गंथे, णो कोहणे सिया, केवली बूया, कोहपत्ते कोहत्तं समावएज्जा मोसं वयणाए, कोहं परिजाणाइ से णिग्गंथे, णय कोहणे सियत्ति दोचा भावणा // 1045 // अहावरा तच्चा भावणा, लोभं परिजाणाइ से णिग्गंथे, णो य लोभणए सिया, केवली बूया; लोभपत्ते लोभी समावए जा मोसं वयणाए, लोभं परिजाणइ से णिग्गथे, णो य लोभणए सियत्ति तच्चा भावणा // 1046 // अंहावरा च उत्था भावणा, भयं परिजाणाइ से णिग्गंथे णो भयभीरुए सिया; केवली बूया, भयप्पत्ते भीरू समावएज्जा मोसं वयणाए, भयं परिजाणइ से णिग्गंथे, णो भयभीरुए सिय त्ति चउत्था भावणा // 1047 // अहावरा पंचमा भावणा, हासं परिजाणइ से णिग्गंथे, णो य हासणए सिया, केवली बूया, हासप्पत्ते हासी समावएज्जा मोसं वयणाए, हासं परिजाणइ से णिग्गंथे, णो य हासणए सिय त्ति पंचमा भावणा // 1048 // एयावता दोचे महत्वए सम्मं काएण फासिए जाव आणाए आराहिए या वि भवइ। दोचे भंते ! महव्वए० // 1049 // अहावरं तचं भंते ! महव्वयं पञ्चक्खामि सव्वं अदिण्णादाणं; से गामे वा, णगरे वा,