________________ 104 अंग-पविट्ठ सुत्ताणि जाणइ, तंजहा-आगई गई ठिई चयणं, उववायं भुत्तं पीयं कडं पडिसेवियं आवीकम्मं रहोकम्मं लवियं कहियं मगोमाणसियं सव्वलोए सव्वजीवाणं, सव्वभावाई जाणमाणे पासमाणे एवं च णं विहरइ / / 1029 // जणं दिवसं समणस्स भगवओ महावीरस्स णिव्वाणे कसिणे जाव समुप्पण्णे, तणं दिवसं भवणवइवाणमंतरजोइसियविमाणवासिदेवेहि य देवीहि य उव्वयंतेहिं य जाव उप्पिंजलगभूए यावि होत्था // 1030 // तओ णं समणे भगवं महावीरे उप्पण्णवरणाणदंसणधरे अप्पाणं च लोग च अभिसमिक्ख पुव्वं देवाणं धम्ममाइक्खइ तओ पच्छा मणु-. स्साणं // 1031 // तओ णं समणे भगवं महावीरे उप्पण्णणाणदसणधरे गोयमाईणं समणाणं णिग्गंथाणं पंचमहध्वयाई सभावणाई छज्जीवणिकायाई आइक्खइ, भासइ, परूवेइ, तंजहा-पुढविकाए जाव तसकाए // 1032 // पढमं भंते ! महव्वयं पच्चक्खामि, सव्वं पाणाइवायं से सुहम वा बायरं वा तसं वा थावरं वा णेव संयं पाणाइवायं करेजा 3 जावजीवाए तिविहं तिविहेणं मंणसा वयसा कायसा, तस्स भंते ! पडिकमामि जिंदामि गरिहामि अप्पाणं वोसिरामि / / 1033 // तस्सिमाओ पंच भावणाओ भवति // 1034 // तत्थिमा पढमा भावणा, इरियासमिए से णिग्गंथे, णो अणइरियासमिए त्ति, केवली बूया अणइरियासमिए से णिग्गंथे, पाणाई 4 अभिहणेज्ज वा, वत्तेज वा, परियावेज वा, लेसेज वा, उद्दवेज वा, इरियासमिए से णिग्गंथे, तो इरियाअसमिए त्ति पढमा भावणा // 1035 // अहावरा दोचा भावणा, मणं परिजाणाइ से णिग्गथे, जे य मणे पावए सावजे सकिरिए अण्हयकरे छेयकरे भेयकरे अहिकरणिए पाउसिए, परियाविए पाणाइवाइए, भूओवघाइए तहप्पगारं मणं णो पधारेजा, मणं परिजाणाइ से णिग्गंथे जे य मणे अपावए त्ति दोचा भावणा // 1036 // अहावरा तचा भावणा, वई परिजाणाइ से णिग्गंथे जा य वई पाविया सावज्जा सकिरिया जाव भूओवघाइया तहप्पगारं वई णो उच्चारिजा, जे वइं परिजाणाइ से णिग्गंथे जा य वई अपाविय त्ति तचा भावणा // 1037 // अहावरा चउत्था भावणा, आयाणभंडमत्तणिक्खेवणासमिए से णिग्गथे, जो अणायाणभंडमत्तणिक्खेवणासमिए णिग्गंथे केवली बूया, आयाणभंडमत्तणिक्खेवणाअसमिए से णिग्गंथे पाणाइंभूयाइंजीवाई सत्ताई अभिहणेज वा जाव उद्दवेज वा, तम्हा आयाणभंडमत्तणिक्खेवणासमिए से णिग्गंथे णो