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________________ भगवई स. 30 उ. 1 1027 सुक्कलेस्सावि भाणियव्वा, कण्हपक्खिया तिहिं समोसरणेहि चउन्विहंपि आउयं पकरेंति, सुर्वकपक्खिया जहा सलेस्सा, सम्मद्दिट्ठी जहा मणपज्जवणाणी तहेव वेमाणियाउयं पकरेंति, मिच्छादिट्ठी जहा कण्हपक्खिया, सम्मामिच्छा. दिट्ठी ण य एक्कंपि आउयं पकरेंति जहेव रइया, णाणी जाव ओहिणाणी जहा सम्मद्दिट्ठी, अण्णाणी जाव विभंगणाणी जहा कण्हपक्खिया, सेसा जाव अणागारोवउत्ता सव्वे जहा सलेस्सा तहा चेव भाणियव्वा, जहा पंचिदियतिरिक्खजोणियाणं वत्तव्वया भणिया एवं मणुस्साणवि वत्तन्वया भाणियन्वा, णवरं मणपज्जवणाणी णोसण्णोवउत्ता य जहा सम्मद्दिट्ठी तिरिक्खजोणिया तहेव भाणियन्वा, अलेस्सा केवलणाणी अवेदगा अकसाई अजोगी य एए एक्कंपि आउयं ण पकरेंति, जहा ओहिया जीवा सेसं तं चेव, वाणमंतरजोइसियवेमाणिया जहा असुरकुमारा। किरियावाई गं भंते ! जीवा किं भवसिद्धिया अभव. सिद्धिया ? गोयमा ! भवसिद्धिया णो अभवसिद्धिया। अकिरियावाई गं भंते! जीवा कि भवसिद्धिया पुच्छा, गोयमा ! भवसिद्धियावि अभवसिद्धियावि, एवं अण्णाणियवाईवि, वेणइयवाईवि / सलेस्सा गं भंते ! जीवा किरियावाई कि भवसिद्धिया पुच्छा, गोयमा ! भवसिद्धिया णो अभवसिद्धिया। सलेस्सा णं भंते ! जीवा अकिरियावाई कि भवसिद्धिया पुच्छा, गोयमा ! भवसिद्धियावि अभवसिद्धियावि, एवं अण्णाणियवाईवि वेणइयवाईवि जहा सलेस्सा, एवं जाव सुक्कलेस्सा / अलेस्सा णं भंते ! जीवा किरियावाई किं भवसिद्धिया पुच्छा, गोयमा ! भवसिद्धिया णो अभवसिद्धिया, एवं एएणं अभिलावेणं कण्हपक्खिया तिसुवि समोसरणेसु भयणाए, सुक्कपक्खिया चउसुवि समोसरणेसु भवसिद्धिया णो अभवसिद्धिया, सम्मद्दिट्ठी जहा अलेस्सा, मिच्छादिट्ठी जहा कण्हपक्खिया, सम्मामिच्छादिट्ठी दोसुवि समोसरणेसु जहा अलेस्सा, पाणी जाव केवलणाणी भवसिद्धिया णो अभवसिद्धिया, अण्णाणी जाव विभंगणाणी जहा कण्हपक्खिया, सण्णासु चउसुवि जहां सलेस्सा, णोसण्णोवउत्ता जहा सम्मविट्ठी, सवेदगा जाब णपुंसगवेदगा जहा सलेस्सा, अवेदगा जहा सम्मद्दिट्ठी, सकसाई जाव लोभकसाई जहा सलेस्सा, अकसाई जहा सम्मद्दिट्ठी, सजोगी जाव कायजोगी जहा सलेस्सा, अजोगी जहा सम्मद्दिट्ठी, सागारोवउत्ता अणागारोवउत्ता जहा सलेस्सा, एवं रइयावि भाणियन्वा गवरं गायव्वं जं अस्थि, एवं असुर.
SR No.004390
Book TitleAngpavittha Suttani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatanlal Doshi, Parasmal Chandaliya
PublisherAkhil Bharatiya Sadhumargi Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year1982
Total Pages1476
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, agam_acharang, agam_sutrakritang, agam_sthanang, agam_samvayang, agam_bhagwati, agam_gyatadharmkatha, agam_upasakdasha, agam_antkrutdasha, & agam_anutta
File Size23 MB
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