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________________ 1026 अंग-पविट्ट सुत्ताणि सजोगी जाव कायजोगी जहा सलेस्सा, अजोगी जहा अलेस्सा, सागारोवउत्ता य अणागारोवउत्ता य जहा सलेस्सा // 823 // किरियावाई णं भंते ! णेरइया कि रइयाउयं० पुच्छा, गोयमा ! णो णेरइयाउयं पकरेंति णो तिरिक्खजोणिया. उयं पकरेंति मणुस्साउयं पकरेंति णो देवाउयं पकरेंति। अकिरियावाई णं मंते ! णेरइया पुच्छा, गोयमा ! णो णेरइयाउयं पकरेंति तिरिक्खजोणियाउयंपि पकरेंति मणुस्साउयंपि पकरेंति णो देवाउयं पकरेंति, एवं अण्णाणियवाईवि वेणइयवाईवि / सलेस्सा णं भंते ! रइया किरियावाई कि रइयाउयं० एवं सव्वेवि णेरइया जे किरियावाई ते मणुस्साउयं एगं पकरेंति, जे अकिरियावाई अण्णाणियवाई वेणइयवाई ते सव्वद्वाणेसुवि णो णेरइयाउयं पकरेंति तिरिक्ख. जोणियाउयंपि पकरेंति मणुस्साउयंपि पकरेंति णो देवाउयं पकरेंति, णवरं सम्मा. मिच्छत्ते उवरिल्लेहि दोहिवि समोसरणेहि ण किंचिवि पकरेंति जहेव जीवपए, एवं जाव थणियकुमारा जहेव णेर इया / अकिरियावाई णं भंते ! पुढविक्काइया पुच्छा, गोयमा ! णो णेरइयाउयं पकरेंति तिरिक्खजोणियाउयं पकरेंति मणुस्सा. उयं पकरेंति णो देवाउयं पकरेंति, एवं अण्णाणियवाईवि / सलेस्सा णं भंते ! एवं जं जं पयं अस्थि पुढविकाइयाणं तहिं 2 मज्झिमेसु दोसु समोसरणेसु एवं चेव दुविहं आउयं पकरेंति णवरं तेउलेस्साए ण किंपि पकरेंति, एवं आउक्काइ. याणवि, एवं वणस्सइकाइयाणवि, तेउकाइया वाउकाइया सव्वदाणेसु मज्झिमेसु दोसु समोसरणेसु णो णेरइयाउयं पकरेंति तिरिक्खजोणियाउयं पकरेंति णो मणुस्साउयं पकरेंति णो देवाउयं पकरेंति, बेइंदियतेइंदियचरिदियाणं जहा पुढविकाइयाणं णवरं सम्मत्तणाणेसु ण एक्कंपि आउयं पकरेंति / किरियावाई णं भंते ! पंचिदियतिरिक्खजोणिया कि रइयाउयं पकरेंति० पुच्छा, गोयमा! जहा मणपज्जवणाणी, अकिरियावाई अण्णाणियवाई वेणइयवाई य चउन्विहंपि पकरेंति, जहा ओहिया तहा सलेस्सावि / कण्हलेस्सा णं भंते ! किरियावाई पंचिदियतिरिक्खजोणिया कि रइयाउयं० पुच्छा, गोयमा ! णो णेरइयाउयं पकरेंति णो तिरिक्ख० णो मणुस्साउयं पकरेंति णो देवाउयं पकरेंति, अकिरियावाई अण्णाणियवाई वेणइयवाई चउन्विहंपि पकरेंति, जहा कण्हलेस्सा एवं णीललेस्सावि काउलेस्सावि, तेउलेस्सा जहा सलेस्सा, णवरं अकिरियावाई अण्णाणियवाई वेणइयवाई य णो णेरइयाउयं पकरेंति तिरिक्खजोणियाउयंपि पकरेंति मणुस्साउयंपि पकरेंति देवाउयंपि पकरेंति, एवं प्रम्हलेस्सावि, एवं
SR No.004390
Book TitleAngpavittha Suttani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatanlal Doshi, Parasmal Chandaliya
PublisherAkhil Bharatiya Sadhumargi Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year1982
Total Pages1476
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, agam_acharang, agam_sutrakritang, agam_sthanang, agam_samvayang, agam_bhagwati, agam_gyatadharmkatha, agam_upasakdasha, agam_antkrutdasha, & agam_anutta
File Size23 MB
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