________________ सावयावस्सयसुत्तं 57 कोट्टगगयाओ / खामेमि सव्वे जीवा० जहाऽऽवस्सएँ / इइ चउत्थं पडिक्कमणावस्सयं समत्तं // 4 // अह पंचमं काउस्सग्गावस्सयं देवसियपायच्छित्तविसोहणत्थं करेमिकाउसग्गं। 'णमो अरिहंताणं०' करेमि०' 'इच्छामि ठामि०' 'तस्स उत्तरी०' // इइ पंचमं काउस्सग्गावस्सयं समत्तं // 5 // अह छठें पच्चक्खाणावस्सयं समुच्चयपच्चक्खाणपाढों-गंठिसहियं, मुट्ठिसहियं, णमुक्कारसहियं, पोरिसियं, सडपोरि सियं, (णियणियइच्छाणुसारं) तिविहंपि चउव्विहंपि आहारं असणं पाणं खाइमं साइमं अण्णत्थणाभोगेणं सहसागारेणं महत्तरागारेणं सव्वसमाहिवत्तियागारेणं वोसिरॉर्मिं / इइ छठं पच्चक्खाणावस्सयं समत्तं // सावयावस्सय (पडिक्कमण) सुत्तं समत्तं तइयं परिसिहं समत्तं 1 रागेण व दोसेण व, अहवा अकयण्गुणा पडिणिवेसेणं / जो मे किंचि वि भणिओ, तमहं तिविहेण खामेमि॥ पच्चंत्तरे एसा गाहाऽहिगा लमइ / 2 सावगसाविगाखामणाचउरासीलक्खजीवजोणिखामणाकुलकोडीखामणापादा भिण्ण भिण्णभासाए तत्तोऽवसेया। इओ पच्छा 'अट्ठारहपावट्ठाणाई' विहीए। 3 काउस्सग्गे चउलोगस्सझाणं, केइ धम्मज्झाणस्स काउस्सग्गं करेंति, तस्स भेया ठाणच उत्थठाणाओऽवसेया। णमो अरिहंताणं' वुत्तूण काउस्सग्गो पारिजइ, तओ 'लोगस्स०' फुडं उच्चारिजइ त्ति विही / 4 विसेसाय आवस्सए छटुं पच्चक्खाणावस्सयं दट्टत्वं / 5 सयं पंच्चक्खइ तया वोसिरामि त्ति वयइ अण्णेसिं पच्चक्खावेइ तया वोसिरे त्ति विसेसो / तओ पच्छा छण्हमावस्सयाणमइयारसंबंधिमिच्छामिदुकडं दिजइ / तओ दुण्णि 'णमोऽत्थु णं०' / 6 दिण्णा ताव संखित्तविही, वित्थरओ पडिकमणविही तदंतग्गयखमासमणाविही पोसहविही देसावगासिय(संवर) विही भासाओऽवसेया।