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________________ नंदीसुत्तं-सुयणाणं 1187 तवोवहाणाई, संले इणाओ, भत्तपञ्चक्खाणाई,पाओबगमणाई, अंतकिरियाओ आघविज्जंति, अंतगडदसासु णं परित्ता वायणा, संखेजा अणुओगदारा, संखेजा वेढा, संखेजा सिलोगा, संखेजाओ णिज्जुत्तीओ, संखेजाओ संमहणीओ, संखेजाओ पडिवत्तीओ, से णं अंगठ्ठयाए अट्ठमे अंगे, एगे सुयक्खंधे, अट्ठ वग्गा, अट्ठ उद्देसणकाला, अट्ट समुद्देसणकाला, संखेजा पयसहस्सा पबग्गेणं, संखेजा अवखरा, अणंता गमा, अणंता पजवा, परित्ता तसा, अणंता थावरा, सासयकडणिबद्ध णिकाइया जिणपण्णत्ता भावा आघविज्नंति, पण्णविज्जति, परूविज्जंति, दंसिज्जति, णिदं सिज्जंति, उवदंसिज्जंति, से एवं आया, एवं णाया, एवं विण्णाया, एवं चरणकरणपरूवणा आघविजइ, सेत्तं अंतगडदसाओ 8 // 53 // से किं तं अणुत्तरोववाइयदसाओ ? अणुत्तरोववाइयदंसासु णं अणुत्तरोववाइयाणं णगराई, उजाणाई, चेइयाइं वणसण्डाई समोसरणाई, रायाणो, अम्मापियरो, धम्मायरिया, धम्मकहाओ, इहलोइयपरलोइया इडिविसेसा, भोगपरिच्चागा, पव्वजाओ, परियागा, सुयपरिग्गहा, तोवहाणाई, पडिमाओ, उवसग्गा, संलेहणाओ, भत्तपञ्चक्खाणाई, पाओवगमणाई, अणुत्तरोक्वाइ. यत्ति उववत्ती, सुकुलपच्चायाईओ, पुणबोहिलामा, अंतकिरियाओ आघधिज्नंति, अणुत्तरोववाइयदसासु णं परित्ता घायणा, संखेजा अणुओगदारा, संखेजा वेढा, संखेजा सिलोगा, संखेजाओ णिज्जुत्तीओ, संखेजाओ संगहणीओ, संखेजाओ पडि. वत्तीओ; से णं अंगट्टयाए णवमे अंगे, एगे सुयक्खंधे, तिण्णि वग्गा; तिण्णि उद्देसणकाला; तिण्णि समुद्देसणकाला; संखेजाइं पयसहस्साई पयन्गेणं; संखेजा अक्खरा, अणंता गमा, अणंता पजवा, परित्ता तसा, अणंता थावरा; सासयकड. णिबद्धणिकाइया जिणपण्णत्ता भावा आघविज्जंति; पण्णविज्जंति; परूविज्जंति, दंसिज्जंति, णिदंसिज्जति, उवदंसिज्जति, से एवं आया, एवं णाया, एवं विण्णाया, एवं चरणकरणपरूवणा आघविजइ, सेत्तं अणुत्तरोववाइयदसाओ 9 // 54 // से किं तं पण्हावागरणाई ? पण्हावागरणेसु णं अटुत्तरं पसिणसयं, अठुत्तरं अपसिणसयं, अद्रुत्तरं पसिणापसिणसयं, तंजहा-अंगुट्ठपसिणाई, बाहुपसिणाई, अद्दागपसिणाई, अण्णेवि विचित्ता विजाइसया, णागसुवण्णेहि सद्धिं दिव्वा संवाया आघविज्जंति,पण्हावागरणाणं परित्ता वायणा, संखेजा अणुओगदारा, संखेजा वेढा, संखेजा सिलोगा, संखेजाओ णिज्जुत्तीओ, संखेजाओ संगहणीओ, . संखेजाओ पडिवत्तीओ, से णं अंगट्टयाए दसमे अंगे, एगे सुयक्खंधे, पणयालीसं
SR No.004389
Book TitleAnangpavittha Suttani Bio Suyakhandho
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatanlal Doshi, Parasmal Chandaliya
PublisherAkhil Bharatiya Sadhumargi Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year1984
Total Pages746
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, agam_jambudwipapragnapti, agam_jambudwipapragnapti, agam_nirayavalika, agam_kalpavatansika, agam_pushpika, agam_pushpachulika, agam_vrushnidasha, & agam
File Size13 MB
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