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________________ नंदीसुत्तं-सुयणाणं 1185 ज्जति, णिदंसिज्जंति, उवदंसिज्जंति / से एवं आया, एवं णाया, एवं विण्णाया, एवं चरणकरणपरूवणा आपविजइ / सेत्तं ठाणे 3 // 48 // से किं तं समवाए ? समवाए णं जीवा समासिज्जंति, अजीवा समासिज्जंति, जीवाजीवा समासिज्जंति, ससमए समासिजइ, परसमए समासिजइ, ससमयपरसमए ससासिज्जइ, लोए समासिजइ, अलोए समासिजइ, लोयालोए समासिजइ। समवाए णं एगाइयाणं एगुत्तरियाणं ठाणसयविवडियाणं भावाणं परूवणा आघविजइ, दुवालसविहस्स य गणिपिडगस्स पल्लव[]गे समासिजह / समवायस्स णं परित्तावायणा, संखिजा अणुओगदारा, संखिजा वेढा, संखिजा सिलोगा, संखिजाओ णिज्जुत्तीओ, संखिजाओ संगहणीओ, संखिजाओ पडिवत्तीओ। सेणं अंगठ्ठयाए चउत्थे अंगे, एगे सुयवखंधे, एगे अज्झयणे, एगे उद्देसणकाले, एगे समुद्देसणकाले, एगे चोयाले सयसहस्से पयग्गेणं, संखेजा अक्खरा, अणंता गमा, अणंता पजवा, परित्ता तसा, अणंता थावरा, सासय. कडणिबद्धणिकाइया जिणपण्णत्ता भावा आघविज्जंति, पण्णविज्जति, परूविज्जति, दंसिज्जत, गिदंसिज्जति, उवदंसिज्जति / से एवं आया, एवं णाया, एवं विण्णाया, एवं चरणकरणपरूवणा आधविजइ / सेत्तं समवाए 4 // 49 // से किं तं विवाहे ? विवाहे णं जीवा वियाहिज्जति, अजीवा वियाहिज्जति, जवाजीवा वियाहिज्जंति, ससमए वियाहिजइ, परसमए वियाहिजइ, ससमयपरसमए वियाहिजइ, लोए विवाहिजइ, अलोए वियाहिजइ, लोयालोए वियाहिजइ, विवाहस्स णं परित्ता वायणा, संखिजा अणुओगदारा, संखिजा वेढा, संखिजा सिलोगा, संखिजाओ णिज्जुत्तीओ, संखिजाओ संगहणीओ, संखिजाओ पडिवत्तीओ, से णं अंगट्टयाए पंचमे अंगे, एगे सुयक्खंधे, एगे साइरेगे अज्झयणसए, दस उद्देसगसहस्साई, दस समुद्देसंगसहस्साई, छत्तीसं वागरणसहस्साई, दो लक्खा अट्ठासीइं पयसहस्साई पयग्गेणं, संखिजा अक्खरा, अणंता गमा, अणंता पजवा, परित्ता तसा, अणंता थावरा, सासयकडणिबद्धणिकाइया जिणपण्णत्ता भावा आपविजंति, पण्णविज्जति, परूविज्जति, दंसिज्जंति, णिदंसिज्जति, उवदंसिज्जंति,से एवं आया, एवं णाया, एवं विण्णाया, एवं चरणकरणपरूवणा आघविजइ, सेत्तं विवाहे 5 // 50 // से किं तं णायाधम्मकहाओ ? णायाधम्मकहासु णं णायाणं णगराई, उजाणाई चेहयाई वणसण्डाई, समोसरणाई, रायाणो, अम्मापियरो, धम्मायरिया, धम्मकहाओ, इहलोइयपरलोइया इट्टिविसेसा, भोगपरिच्चाया, पवजाओ, परियाया, सुयपरि गहा, तबोव...
SR No.004389
Book TitleAnangpavittha Suttani Bio Suyakhandho
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatanlal Doshi, Parasmal Chandaliya
PublisherAkhil Bharatiya Sadhumargi Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year1984
Total Pages746
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, agam_jambudwipapragnapti, agam_jambudwipapragnapti, agam_nirayavalika, agam_kalpavatansika, agam_pushpika, agam_pushpachulika, agam_vrushnidasha, & agam
File Size13 MB
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