________________ 1146 अनंगपविट्ठसुताणि सियाहिं, ण चाइया खोभइ तिगुत्ता। तहा वि एगंतहियं ति णच्चा, विवित्तवासो मुणिणं पसन्थो // 16 // मोक्खाभिकंखिस्स उ माणवस्स, संसारभीरुस्स ठियस्स धम्मे। णेयारिसं दुत्तरमत्थि लोए, नहित्थिओ बालमणोहराओ॥१७॥ एए य संगे समइक्क . मित्ता, सुदुत्तरा चेव भवंति सेसा / जहा महासागरमुत्तरित्ता, णई भवे अवि गंगासमाणा // 18 // कामाणुगिद्धिप्पभवं खु दुक्खं, सव्वस्स लोगस्स सदेवगस्स / जं काइयं माण सियं च किंचि, तस्संतगं गच्छद्द वीयरागो // 19 // जहा य किंपागफला मणोरमा, रसेण वण्णेण य भुजमाणा / तं खुडुए जीविय पच्चमाणा, एओवमा कामगुणा विवागे // 20 // जे इंदियाणं विसया मणुण्णा, ण तेसु भावं णिसिरे कयाइ / ण यामणुण्णेसु मणं पि कुजा, समाहिकामे समणे तवस्सी // 21 // (1) चक्खुस्स रूवं गहणं वयांत, तं रागहेउं तु मणुण्णमाहु / तं दोसहेउं अमणुण्णमाहु, समो य जो तेसु स वीयरागो ||22 // रूवस्स चक्खं गहणं वयंति, चक्खुस्स एवं गहणं वयंति / रागस्स हेउं समणुण्णमाहु, दोसस्स हेउं अमणुण्णमाहु // 23 // रूवेसु जो गिद्धिमुवेइ तिव्वं, अकालियं पावइ से विणासं / रागाउरे से जह वा पयंगे, आलोय. लोले समुवेइ मच्चु // 24 // जे यावि दोसं समुवेइ तिव्वं, तंसि क्खणे से उ उवेइ दुक्खं / दुइंतदोसेण सएण जंतू, ण किंचि एवं अवरज्झई से // 25 // एगंतरत्ते रुइरंसि रूवे, अतालिसे से कुणई पओसं / दुक्खस्से संपीलमुवेइ बाले, ण लिप्पई तेण मुणी विरागो // 26 // रूवाणुगासाणुगए य जीवे, चराचरे हिंसइ. ऽणेगरूवे / चित्तेहि ते परितावेइ बाले, पीलेइ अत्तद्वगुरू किलिटे // 27 // रूवाणुवारण परिग्गहेण, उप्पायणे रक्खणसण्णिओगे / वए विओगे य कहं सुहं से, संभोगकाले य अतित्तलाभे // 28 // रूवे अतित्ते य परिग्गहमि, सत्तोवसत्तो ण उवेइ तुहिँ / अतुट्टिदोसेण दुही परस्स, लोभाविले आययई अदत्तं // 29 // तण्हाभिभूयस्स अदत्तहारिणो, रूवे अतित्तस्स परिग्गहे य। मायामुसं वडा लोभदोसा, तत्थावि दुक्खा ण विमुच्चई से // 30 // मोसस्स पच्छा य पुरत्थओ य, पओगकाले य दुही दुरंते / एवं अदत्ताणि समाययंतो, रूवे अतित्तो दुहिओ अणिस्सो // 31 // रूवाणुरत्तस्स णरस्स एवं, कत्तो सुहं होज कयाइ किंचि / तत्थोवभोगे वि किलेसदुक्खं, णिवत्तई जस्स कएण दुक्खं // 32 // एमेव रूवंमि गओ पओसं, उवेइ दुक्खोहपरंपराओ। पदुट्ठचित्तो य चिणाइ कम्मं, जं से पुणो होइ दुहं विवागे // 33 // रूवे विरत्तो मणुओ विसोगो, एएण दुक्खोहपरंपरेण / ण