________________ 1066 ___ अनंगपविट्ठसुत्ताणि ऽणाइण्णा, ण तं भासिज पण्णवं // 2 // असच्चमोसं सच्चं च, अणवजमव कसं / समुप्पेहमसंदिद्धं, गिरं भासिज पण्णवं // 3 // एयं च अट्ठमण्णं वा, जं तु णामेइ सासयं / स भामं सच्चमोसं पि, तं पि धीरो विवजए // 4 // वितहं पि तहामुत्तिं, जं गिरं भासए णरो / तम्हा सो पुट्ठो पावेणं, किं पुण जो मुसं वए ? // 5 // तम्हा "गच्छामो वक्खामो, अमुगं वा णे भविस्सइ / अहं वा णं करिस्सामि, एसो वा णं करिस्सइ" // 6|| एवमाइ उ जा भासा, एसकालम्मि संकिया / संपयाई यमढे वा, तं पि धीरो विवजए // 7 // अईयम्मि य कालम्मि, पच्चुप्पण्णमणागए / जमढे तु ण जाणिजा, “एवमेयं” ति णो वए // 8 // अईयम्मि य कालम्मि, पच्चुप्पण्णमणागए / जत्थ संका भवे तं तु, “एवमेयं" ति जो वए / / 9 / / अईयम्मि य कालम्मि, . पच्चुप्पण्णमणागए / णिस्संकियं भवे जं तु, “एवमेयं" ति णिदिसे // 10 // तहेव फरुसा भासा, गुरुभूओवघाइणी / सच्चा वि सा ण वत्तव्वा, जओ पावस्स आगमो // 11 // तहेव काणं "काणे" त्ति, पंडगं “पंडगे" त्ति वा / वाहियं वावि "रोगि" त्ति, तेणं "चोरे" त्ति णो वए॥१२॥ एएणण्णेण अटेण, परो जेणुवहम्मइ / आयारभावदोसण्णू , ण तं भासिज पण्णवं // 13 // तहेव "होले” “गोलि" त्ति "साणे” वा “वसुले” त्ति य / “दमए” "दुहए" वावि, ण तं भासिज पण्णवं // 14 // अज्जिए पज्जिए वावि, अम्मो माउसियत्ति य / पिउसिए भाइणिजत्ति, धृए णत्तु.. णियत्ति य॥१५।। हले हले त्ति अण्णे त्ति, भट्टे सामिणि गोमिणि / होले गोले वसुले त्ति, इत्थियं णेवमालवे // 16 // णामधिज्जेण णं बूया, इत्थीगुत्तेण या पुणो / जहा. रिहमभिगिज्झ, आलविज लविज वा // 17 // अजए प.ए वावि, बप्पो चुलपिउत्ति य / माउलो भाइणिजत्ति, पुत्ते णत्तुणियत्ति य // 18 // हे हो हलित्ति अण्णि. त्ति, भट्टा सामिय गोमिए / होल गोल वसुलित्ति, पुरिसं णेवमालवे // 19|| णाम धिज्जेण णं बूया, पुरिसगुत्तेण वा पुणो / जहारिहम भिगिज्झ, आलविज लविज वा // 20 // पंचिंदियाण पाणाणं, “एस इत्थी अयं पुमं" / जाव णं ण विजाणिजा, ताव जाइत्ति आलवे // 21 // तहेव माणुसं पसुं, पक्खि वावि सरीसिवं / "थूले पमेइले वझे, पायमि” त्ति य णो वए // 22 // परिवूढत्ति णं बूया, बूया उवचिए त्ति य / संजाए पीणिए वावि, महाकायत्ति आलवे // 23 // तहेव गाओ दुज्झाओ, दम्मा गोरहगत्ति य / वाहिमा रहजोग्गत्ति, णेवं भासिज पण्णवं / / 24 // जुवं गवित्ति णं बूया, धेगुं रसदयत्ति य / रहस्से महल्लए वावि, वए संवहणित्ति य // 25 // तहेव गंतुमुजाणं, पव्वयाणि वणाणि य / रुक्खा महल पेहाए, णेवं भासिज पण्णवं