________________ दसवेयालियसुत्तं अ० 4 1055 पमज्जिय पमन्जिय एगंतमवणिजा, णो णं संघायमावज्जिज्जा // 6 // 17 // अजयं चरमाणो (य)उ, पाणभूयाइं हिंसइ / बंधइ पावयं कामं, तं से होइ कडयं पलं // 1 // अनयं चिट्ठमाणो उ, पाणभूयाइं हिंसइ / बंधइ पावयं कम्म, तं से होइ कडुयं फलं // 2 // अजयं आसमाणो उ, पाणभूयाइं हिंसइ / बंधइ पावयं कामं, तं से होइ कडुयं फलं // 3 // अजयं सयमाणो उ, पाणभूयाइं हिंसइ / बंधइ पावयं कम्म, तं से होइ कडयं फलं // 4 // अजयं भुंजमाणो उ, पाणभूयाइं हिसह / बंधइ पावयं कम्म, तं से होइ कडुयं फलं // 5 // अजयं भासमाणो उ, पाणभूयाई हिसइ / बंधइ पावयं कम्म, तं से होइ कडुयं फलं // 6 // कहं चरे ? कहं चिट्टे ?, कहमासे ? कहं सए ? / कहं भुजंतो भासंतो, पावकम्मं ण बंधइ ? // 7 // जयं चरे जयं चिट्टे, जयमासे जयं सए / जयं भुजंतो भासंतो, पावकम्मं ण बंधइ // 8 // सव्वभूयप्पभूयस्स, सम्मं भूयाइ. पासओ। पिहियासबस्स दंतस्स, पावकग्मं ण बंधइ // 9 // पढमं गाणं तओ दया, एवं चिट्ठइ सव्वसंजए। अण्णाणी किं काही ?, किं वा णाहिइ सेयपावगं ? // 10 // सोच्चा जाणइ कलाणं, सोच्चा जाणइ पावगं / उभयं पि जाणइ सोच्चा, नं सेयं तं समायरे // 11 // जो जीवे वि ण याणेइ, अजीवे वि ण याणइ / जीवाजीवे अयाणंतो, कहं सो णाहिइ संजमं // 12 // जो जीवे वि वियाणेइ, अजीवे वि वियाणइ / जीवाजीवे वियाणतो, सो हु णाहिइ संजमं . // 13 // जया जीबमजीवे य, दो वि एए वियाणइ / तया गई बहुविहं, सव्वजीवाण जाणइ // 14 // जया गई बहुविहं, सव्वजीवाण जाणइ / तया पुण्णं च पावं च, बंधं मुक्खं च जाणइ / / 15 / / जया पुण्णं च पावं च, बंधं मुक्खं च जाणइ / तया णिविंदए भोए, जे दिव्वे जे य माणुसे // 16 // जया णिव्विंदए भोए, जे दिव्वे जे य माणुसे / तया चयइ संजोगं, सभितरबाहिरं // 17 // जया चयइ संजोगं, सभितरबाहिरं / तया मुंडे भवित्ताणं, पव्वइए अणगारियं // 18 // जया मुंडे भक्त्तिाणं, पव्वइए अणगारियं / तया संवरमुक्किटुं, धम्मं फासे अणुत्तरं // 19 // जया संवरमुक्किटुं, धम्मं फासे अणुत्तरं / तया धुणइ कम्मरयं, अबोहिकलुसं कडं // 20 // जया धुणइ कम्मरयं, अबोहिकलसं कडं। तया सव्वत्तगं णाणं, दंसणं चाभिगच्छइ // 21 // जया सव्वत्तगं णाणं, दंसणं चाभिगच्छह / तया लोगमलोगं च, जिणो जाणइ केवली // 22 // जया लोगमलोगं च, जिणो जाणइ केवली / तया जोगे णिरुंभित्ता, सेलेसिं पडिवजइ // 23 // जया जोगे णिरुभित्ता, सेलेसिं पडिवजइ / तया कम्म खवित्ताणं, सिद्धिं गच्छइ णीरओ॥२४॥