________________ 1024 अनंगपविट्ठसुत्ताणि. गयं / तओ लोगमलोगं च, जिणो जाणइ केवली // 19 // जया से दरिसणावरणं, . सब्बं होइ खयं गयं / तओ लोगमलोगं च, जिणो पासइ केवली // 20 // पडिमाए विसुद्धाए, मोहणिज्ज खयं गाय]ए / असेसं लोगमलोगं च, पासेइ सुसमाहिए // 21 // नहा मत्थय-सूईए, हंताए हम्मइ तले। एवं कम्माणि हम्मंति, मोहणिज्जे स्वयं गए // 22 // सेणावइंमि णिहए, जहा सेणा पणस्सइ / एवं कम्माणि णस्संति, मोहणिज्जे खयं गए // 23|| धूमहीणो जहा अग्गी,खीयइ से णिरिंधणे। एवं कम्माणि खीयंति, मोहणिज्जे खयं गए // 24 // सुक्मूले जहा रुव खे, सिंचमाणे ण रोहइ / एवं कम्मा ण रोहंति, मोहणिज्जे खयं गए // 25 // जहा दहाणं बीयाणं, ण जायंति पुणंकुरा / कम्मबीएसु दड्डेसु, ण नायंति भवंकुरां // 26 // चिच्चा ओरालियं बोदि, णामगो(तं)यं च केवली / आउयं वेयणिज्जं च; छित्ता भवइ जीरए // 27 // एवं अभिसमागम्म, चित्तमादाय आउसो / सेणिसुद्धिमुवागम्म, आया सुद्धि(सोहि)मुवागइ // 28|| त्ति-बेमि // पंचमा दसा समत्ता // 5 // छट्ठा दसा सुयं मे आउसं ! तेणं भगया महावीरेणं एवमक्खायं, इह खलु थेरेहि भगवंतेहिं ए(इ)कारस उवासगपडिमाओ पण्णत्ताओ, कयरा खलु ताओ थेरेहिं भगवंतेहिं एक्कारस उवासगपडिमाओ पण्णत्ताओ ? इमाओ खलु ताओ थेरेहिं भगवंतेहिं एकारस उवासगपडिमाओ पण्णत्ताओ। तंजहा-अकिरियवाई यावि भवइ, णाहियवाई, णाहियपण्णे, णाहियदिट्ठी, णो सम्मावाई, णो णितियावाई, ण संति परलोगवाई, णत्थि इहलोए, णत्थि परलोए, गत्थि माया, गत्थि पिया, णत्थि अरिहंता, णत्थि चक्कवट्टी, णत्थि बलदेवा, पत्थि वासुदेवा, गत्थि गिरया, णस्थि णेरड्या, णस्थि सुकडदुक्कडाणं फलवित्तिविसेसो, णो सुचिण्णा कम्मा सुचिण्णा फला भवंति, णो दुचिण्णा कम्मा दुचिण्णा फला भवंति, अफले कल्लाणपावए, णो पच्चायंति जीवा, गस्थि णिरयाई, पत्थि सिद्धी, से एवंवाई एवंपण्णे एवंदिट्ठी एवंछंदरागमइणिविटे यावि भवइ // 1 // से भवद महिच्छे महारंभे महापरिग्गहे अहम्मिए अहम्माणुए अहम्मसेवी अहम्मिटे अहमक्खाई अहम्मरागी अहम्म 1 पासह एक्कारसमं समवाय / 2 विसेसो सूयगडविइयसुयक्खंधविइयऽज्झयणपढमकिरियट्ठाणऽहम्मपक्खाओ णायव्यो /