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________________ दसासुयक्खंधो द. 3 1019 यणा सेहस्म // 9 // सेहे राइणियस्स आसण्णं णिसीइत्ता भवइ आसायणा सेहग्स // 10 // सेहे राइणिएणं सद्धिं बहिया वियारभूमि(वा)णिकरते समाणे तत्थ सेहे पुव्वतरागं आयमइ पच्छा राइणिए भवइ आसायणा सेहम्स // 11 // सेहे राइणिएणं सद्धिं बहिया वियारभूमि वा विहारभूमि वा णिक्खंते समाणे तत्थ सेहे पुव्वतरागं आलोएइ पच्छा राइणिए भवइ आसायणा सेहस्स // 12 // केइ राइणियस्स पुव्वसंलवित्तए सिया, तं सेहे पुव्वतरागं आलवइ पच्छा राइणिए भवद आसायणा सेहस्स // 13 // सेहे राइणियस्स राओ वा वियाले वा बाहरमाणम्स अज्जो ! के सु(त्ते)त्ता के जाग(रे)रा ? तत्थ सेहे जागरमाणे राइणियम्स अपडिसुणेत्ता भवइ आसायणा सेहस्स // 14 // सेहे असणं वा पाणं वा खाइमं वा साइमं वा पडिगाहित्ता तं पु व्वव्वामेव सेहतरागस्स आलोएइ पच्छा राइणि यस्स झवह आसायणा सेहस्स / / 15 / सेहे असणं वा पाणं वा खाइमं वा साइमं वा पडिगाहित्ता तं पुव्वामेव सेहतरागस्स उवदंसेइ पच्छा राइणियम्स भवइ आसाटणा सेहस्स // 16 // सेहे असणं वा पडिगाहित्ता तं पुवामेव सेहतरागं उवणिमंतेइ पच्छा राइणि[ए] यं भवइ आसायणा सेहस्स // 17 // सेहे राइणिएण सद्धिं असणं वा पाणं वा खाइमं वा साइमं वा पडिगाहित्ता तं राइणियं अणापुच्छित्ता जस्त जस्स इच्छइ तस्स तस्स खद्धं [खंधं] 2 तं दलयइ आसायणा सेहस्स // 18 / / सेहे असणं वा 4 पडिगाहित्ता राइणिएणं सद्धिं भुंजमाणे तत्थ सेहे खद्धं 2 डागं डागं असढं ऊसद रसियं रसियं मणुण्णं मणुःणं मणामं मणामं णिद्धं णिद्धं लुक्खं लुक्खं आहारित्ता भवइ आसायणा सेहस्स / / 19 / / सेहे राइणियस्स वाहर(आलव)माणस्स अपडिसुणित्ता भवइ आसायणा सेहम्स // 20 // सेहे राइ. णियस्स वाहरमाणस्स तत्थ गए चेव पडिसुणित्ता भवइ आसायणा सेहस्स // 21 // सेहे राइणियस्स किंति-वत्ता भवइ आसायणा सेहस्स // 22 // सेहे राइणियं तुमंतिवत्ता भवइ आसायणा सेहस्स / / 23 / / सेहे राइणियं खलु खद्धं वत्ता भवइ आसायणा सेहस्स // 24 // सेहे राइणियं तजाएणं [2] पडिहणित्ता भवइ आसायणा सेहस्स // 25 // सेहे राइणियस्स कहं कहेमाणम्स इति एवं वत्ता भवइ आसायणा सेहस्स॥ 26 / / सेहे राइणियस्स कहं कहमाणस्स णो सुमरसीति वत्ता भवइ आसायणा सेहस्स // 27 / / सेहे राइणियस्स कहं कमाणस्स णो सुमणसे भवइ आसायणा सेहस्स || 28 // सेहे राइणियस्स कहं कहेमाणस्स परिसं भेत्ता
SR No.004389
Book TitleAnangpavittha Suttani Bio Suyakhandho
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatanlal Doshi, Parasmal Chandaliya
PublisherAkhil Bharatiya Sadhumargi Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year1984
Total Pages746
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, agam_jambudwipapragnapti, agam_jambudwipapragnapti, agam_nirayavalika, agam_kalpavatansika, agam_pushpika, agam_pushpachulika, agam_vrushnidasha, & agam
File Size13 MB
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