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________________ 976 अनंगपविट्ठसुत्ताणि पेहाए तीसे परिसाए अणुट्टियाए अभिण्णाए अवोच्छिण्णाए जो तमण्णं (तं असणं . 4 वा) पडिग्गाहेइ पडिग्गाहेंतं वा साइजइ // 11 // अह पुण एवं जाणेजा 'इहज राय खत्तिए परिवुसिए' ने भिक्खू तार गिहाए ताए पएसाए ताए उवासंतराए विहारं वा करेइ सज्झायं वा करेइ असणं वा 4 आहारेइ उच्चारं वा पासवणं वा परिट्ठवेइ अण्णयरं वा अणारिवं मेहुणं अस्समणपाउम्गं कहं कहेइ कहेंतं पा साइजइ // 12 / / जे भिक्खू रण्णो खत्तियाणं मुदियाणं मुद्धाभिसित्ताणं बहिया जत्तासं(पहि)ठियाणं असणं ना 4 पडिग्गाहेइ पडिग्गाहेत वा साइजइ ॥१३॥जे भिक्खू रण्णो खत्तियाणं मुदियाणं मुद्धामिसित्ताणं बहिया जत्तापडिणियत्ताणं असणं बा 4 पडिग्गाहेह पडिग्गाहेत बा साइजइ // 14 // जे भिक्खू रण्णो खत्तियाणं मुदियाणं मुद्धाभिसित्ताणं णइजत्तासंपट्टियाणं असणं वा 4 पडिग्गाहेइ पडिग्गाहेंतं वा साइजह // 15 // जे भिक्खू रण्णो खत्तियाणं मुरियाणं मुद्धाभिसित्ताणं णइजत्तापडिणियत्ताणं असणं वा 4 पडिग्गाहेइ पडिग्गाहेंतं वा साइजइ // 16 // जे भिक्खू रण्णो खत्तियाणं मुदियाणं मुद्धाभिसित्ताणं गिरिजत्तासंपट्ठियाणं असणं वा 4 पडिग्गाहेइ पडिग्गाहेंतं वा साइजइ // 17 // जे भिक्खू रण्णो खत्तियाणं मुदियाणं मुद्धाभिसित्ताणं गिरिजत्तापडिणियत्तागं असणं वा 4 पडिग्गाहेइ पडिग्गाहेंतं वा साइजइ // 18 // जे भिक्खू रण्णो खत्तियाणं मुदियाणं मुद्धाभिसित्ताणं महाभिसेयंसि वट्टमाणसि णिक्खमइ वा पविसइ वा णिक्खमंतं वा पविसंतं वा साइजह // 19 // जे भिक्खू रण्णो खत्तियाणं मुदियाणं मुद्धाभिसित्ताणं इमाओ दंस अभिसेयाओ रायहाणीओ उद्दिट्ठाओ गणियाओ वंजियाओ अंतो मासस्स दुक्खुत्तो वा तिक्खुत्तो वा णिक्खमइ वा पविसइ वा णिक्खमंतं वा पविसंतं वा साइजइ, तंजहा-चंपा महुरा वाणारसी साबत्थी साएवं कंपिल्लं कोसंबी मिहिला हस्थिणापुरं रायगिहं // 20 // जे भिक्खू रण्णो खत्तियाणं मुदियाणं मुद्धाभिसित्ताणं असणं वा 4 परस्स णीहडं पडिग्गाहेइ पडिग्गाहेंतं वा साइजइ, तनहा-खत्तियाण वा राईण वा कुराईण वा रायसंसियाण वा रायपेसियाण वा // 21 // जे भिक्खू रण्णो खत्तियाणं मुदियाणं मुद्धाभिसित्ताणं असणं वा 4 परस्स णीहडं पडिग्गाहेइ पडिग्गाहेतं वा साइजइ, तंजहा–णडाण वा णट्टयाण वा कच्छुयाण वा जल्लाण वा मलाण वा मुट्ठियाण वा वेलंबगाण वा कहगाण वा पवगाग वा लासगाण वा दोखलयाण वा छत्ताणुयाण वा (खेलाण वा उत्ताण वा) // 22 // जे भिक्खू रण्णो खत्तियाणं मुदियाणं मुद्धाभिसित्ताणं असणं वा 4 परस्स णीहडं
SR No.004389
Book TitleAnangpavittha Suttani Bio Suyakhandho
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatanlal Doshi, Parasmal Chandaliya
PublisherAkhil Bharatiya Sadhumargi Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year1984
Total Pages746
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, agam_jambudwipapragnapti, agam_jambudwipapragnapti, agam_nirayavalika, agam_kalpavatansika, agam_pushpika, agam_pushpachulika, agam_vrushnidasha, & agam
File Size13 MB
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