SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 384
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ णिसीहसुत्तं उ० 9 975 सित्ताणं उस्सट्टपिंडं वा संसट्ठपिंडं वा अणाहपिंडं वा किविणल्डिं वा वणीमगपिंडं वा पडिग्गाहेइ पडिग्गाहेंतं वा साइजइ / तं सेवमाणे आवजइ चाउमासियं परिहारहाणं अणुग्घाइयं // 18 // णिसीहऽज्झयणे अट्ठमो उद्देसो समत्तो।। णवमो उद्देसो जे भिक्खू रायपिंडं गेण्हइ गेहंतं वा साइजइ // 1 // जे भिक्खू रायपिंडं भुंजइ भुजंतं वा साइजइ // 2 // जे भिक्खू रायतेउरं पविसइ पविसंतं वा साइजइ // 3 // जे भिक्खू रायंतेपुरियं वएजा-'आउसो ! रायंतेपुरिए णो ख्लु अम्हं कप्पइ रायंतेपुरं णिक्खमित्तए वा पविसित्तए बा, इमम्हं तुमं पडिग्गहगं गहाय रायंतेपुराओ असणं वा 4 अभिहडं आहट्ट दलयाहि' जो तं एवं वयइ वयंत वा साइजइ // 4 // जे भिक्खू णो वएजा, रायंतेपुरिया वए जा-'आउसंतो! समणा णो खलु तुझं कप्पइ रायंतेपुरं णिक्खमित्तए वा पविसित्तए वा, आहरेयं पडिग्गहगं जाए अम्हं रायंतेपुराओ असणं वा 4 अभिहडं आहट्ट दलयामि' जो तं एवं वयं पडिसुणेइ पडिसुणेतं वा साइज.इ // 5 // जे भिवरलू रण्णो खत्तियाणं मुदियाणं मुद्धाभिसित्ताण दुवारियभत्तं वा पसुभत्तं वा भयगमत्तं वा बलभत्तं वा कयगभत्तं वा हयभत्तं वा गयभत्तं वा कंतारभत्तं वा दुब्भिवखभत्तं वा दुकालमत्त वा दमगमत्तं वा गिलाणभत्तं वा वद्दलियाभत्तं वा पाहुणभत्तं वा पडिग्गाहेइ पडिग्गाहेतं वा साइजइ // 6 // जे भिक्खू रण्णो खत्तियाणं मुदियाणं मुद्धाभिसित्ताणं इमाई दोसाययणाई अजाणिय अपुच्छिय अगवेसिय परं चउरायपंचरायाओ गाहावइकुलं पिंडवायपडियाए णिक्खमइ वा पविसइ वा णि खमंतं वा पविसंतं वा साइजइ, तंजहा-कोट्ठागारसालाणि वा भंडागारसालाणि वा पाणसालाणि वा खीरसालाणि वा गंजसालाणि वा महाणससालाणि वा // 7 // जे मिक्खू रण्णो खत्तियाणं मुदियाणं मुद्धाभिसित्ताणं अइगच्छमाणाण वा णिग्गच्छमाणाण वा पयमवि चक्खुदंसणपडि. वाए अभिसंधारेइ अभिसंधारेंतं वा साइजइ // 8 // जे भिक्खू रण्णो खत्तियाणं मुदियाणं मुद्धाभिसित्ताणं इत्थीओ सव्वालंकारविभूसियाओ पयमवि चक्खुदंसण'पडियाए अभिसंधारेइ अभिसंधारेतं वा साइभइ 9 // जे भिव खू रपणो खत्तियाणं मुदियाणं मुद्धाभिसित्ताणं मंसखायाण वा मच्छखायाण वा छविखायाण वा बहिया णिग्गयाणं असणं वा 4 पडिग्गाहेइ पडिग्गाहेत वा साइजइ // 10 // जे भिक्खू रण्णो खत्तियाणं मुदियाणं मुद्धाभिसित्ताणं अण्णयरं उववूहणियं समीहियं
SR No.004389
Book TitleAnangpavittha Suttani Bio Suyakhandho
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatanlal Doshi, Parasmal Chandaliya
PublisherAkhil Bharatiya Sadhumargi Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year1984
Total Pages746
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, agam_jambudwipapragnapti, agam_jambudwipapragnapti, agam_nirayavalika, agam_kalpavatansika, agam_pushpika, agam_pushpachulika, agam_vrushnidasha, & agam
File Size13 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy