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________________ 932 अनंगपविट्ठसुत्ताणि कप्पइ अण्णं गणं संभोगपडियाए उवसंपज्जित्ताणं विहरित्तए; जत्थुत्तरियं धम्मविणयं लभेजा, एवं से कम्पइ अण्णं गणं संभोगपडियाए उवसंपज्जित्ताणं विहरित्तए; जत्थुत्तरियं धम्मविणयं णो लभेजा, एवं से णो कप्पइ अण्णं गणं संभोगपडियाए उपसंपज्जित्ताणं विहरित्तए // 24 // आयरियउवज्झाए य गणाओ अवकम्म इच्छेजा अण्णं गणं संभोगपडियाए उक्संपज्जित्ताणं विहरित्तए, णो कप्पइ आयरियउवज्झायस्स आयरियउवज्झायत्तं अणिक्खिवित्ता अण्णं गणं संभोगपडियाए उवसंपज्जित्ताणं विहरित्तए; कप्पइ आयरियउवज्झायरस आयरियउवज्झायत्तं णिक्खिवित्ता अण्णं गणं संभोगपडियाए उवसंपज्जित्ताणं विहरित्तए, णो से कप्पड़ अणापुच्छित्ता आयरियं वा जाव गणावच्छे इयं वा अण्णं गणं संभोगपडियाए उव. संपज्जित्ताणं विहरित्तए; कप्पइ से आपुच्छिता आयरियं वा जाघ गणावच्छेइयं वा अण्णं गणं संभोगपडियाए उवसंपन्जिंत्ताणं विहरित्तए, ते य से वियरेजा, एवं से कप्पइ अण्णं गणं संभोगपडियाए उवसंपज्जित्ताणं विहरित्तए; ते य से णो वियरेजा, एवं से णो कप्पइ अण्णं गणं संभोगपडियाए उसंपज्जित्ताणं विहरित्तए; जत्युत्तरियं धम्मविणयं लभेजा, एवं से कप्पइ अण्णं गणं संभोगपडियाए उवसंपज्जित्ताणं विहरित्तए, जत्थुत्तरियं धम्मविणयं णो लभेजा, एवं से णो कप्पइ अण्णं गणं संभोगपडियाए उवसंपज्जित्ताणं विहरित्तए // 25 // भिक्खू य इच्छेजा अण्णं आयरियउवज्झायं उद्दिसावेत्तए, णो से कप्पइ अणापुच्छित्ता आयरियं वा जाव गणावच्छेइयं वा अण्णं आयरियउवज्झायं उद्दिसावेत्तए; कप्पइ से आपुच्छित्ता आयरियं वा जाव गणावच्छेइयं वा अण्णं आयरियउषज्झायं उद्दिसावेत्तए, ते य से वियरेजा; एवं से कप्पइ अण्णं आयरियउवज्झायं उद्दिसावेत्तए; ते य से णो वियरेजा, एवं से णो कप्पइ अण्णं आयरियउवज्झायं उद्दिसावेत्तए; णो से कप्पह तेर्सि कारणं अदीवेत्ता अण्णं आयरियउवज्झायं उद्दिसावेत्तए, कप्पइ से तेसिं कारणं दीवेत्ता अण्णं आयरियउवज्झायं उद्दिसावेत्तए // 26 // गणावच्छेइए य इच्छेजा अण्णं आयरियउवज्झायं उद्दिसावेत्तए, णो से कप्पइ गणावच्छेइयतं अणि विखवित्ता अण्णं आयरियउवज्झायं उद्दिसावित्तए, कप्पइ से गणावच्छेइयत्तं णिक्खिवित्ता अण्णं आयरिय उवज्झायं उद्दिसावित्तए, णो से कप्पइ अणापुच्छित्त आयरियं वा जाव गणावच्छेइयं वा अण्ण आयरियउवज्झायं उद्दिसावेत्तए; कप्पइ से ऑपुच्छित्ता आयरियं वा जाव गणावच्छेइयं वा अण्णं आयरियउवज्झायं उद्दिसावेत्तए, ते य से वियरेजा, एवं से कप्पइ अण्णं आयरियउवज्झायं उद्दिसावेत्तए; ते य से
SR No.004389
Book TitleAnangpavittha Suttani Bio Suyakhandho
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatanlal Doshi, Parasmal Chandaliya
PublisherAkhil Bharatiya Sadhumargi Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year1984
Total Pages746
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, agam_jambudwipapragnapti, agam_jambudwipapragnapti, agam_nirayavalika, agam_kalpavatansika, agam_pushpika, agam_pushpachulika, agam_vrushnidasha, & agam
File Size13 MB
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