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________________ 604 अनंगपविठ्ठसुनामि दो वि पच्छाउत्ते णो से कप्पइ दो वि पडिग्गाहेत्तए // 158 // जे से तत्थ पुव्वागमणेणं पुवाउत्ते से कम्पइ पडिग्गाहेत्तए // 159 // जे से तत्थ पुवागमणेणं पच्छाउत्ते णो से कप्पइ पडिग्गाहेत्तए // 160 // आयरियउवज्झायस्स गणंसि पंच अइसेसा पण्णत्ता, तंजहा-(१) आयरियउवज्झाए अंतो उवस्सयस्स पाए णिगिज्झिय 2 पप्फोडेमाणे वा पमज्जेमाणे वा णो अ(णा)इक्कमइ // 161 // (2) आयरियउवज्झाए अंतो उवस्सयस्स उच्चारपासवणं विगिंचमाणे वा विसोहेमाणे वा णो अइक्कमइ // 162 // (3) आयरियउवज्झाए पभू वेयावडियं इच्छा करेजा इच्छा णो करेजा // 163 // (4) आयरियउवज्झाए अंतो उवस्सयस्स एगरायं का दुरायं का समाणे णो अइकमइ / / 164 / / (5) आयरियउज्झाए शाहिं उवस्सयस्स एगरायं वा दुरायं वा वसमाणे णो अइकमइ / / 165 / / गणावच्छेइयस्स णं गणंसि दो अइसेसा प०, तं०-(१) गणावच्छेइए अंतो. उबस्सयस्स एगरायं वा दुरायं वा वसमाणे णो अइक्कमइ // 166 // (2) गणावच्छेइए बाहिं उवस्सयस्स एगरायं वा दुरायं वा वसमाणे णो अइक्कमइ // 167 // से गामंसि वा जाव रायहाणिसि वा एगवगडाए एगदुवाराए एगणिक्खमणपवेसाए णो कप्पइ बहूणं अगडसुयाणं एगयओ वत्थए, अस्थि याइं ण्हं केइ आयारपकप्पधरे णत्थियाइं ण्हं केइ छेए वा परिहारे वा, णत्थि याइं ण्हं केइ आयारपकप्पधरे से संतरा छेए वा परिहारे वा // 168|| से गामंसि वा नाव रायहाणिसि वा अभिणिव्वगडाए अभिणिदुवाराए अभिणिक्खम. णपवेसणाए णो कप्पइ बहूण वि अगडसुयाणं एगयओ वत्थए, अत्थि याइं ण्हं केइ आयारपकप्पधरे जे तत्तियं रयणि संवसइ णत्थि याई ण्हं केइ छेए वा परिहारे वा, णत्थि याइं हं केइ आयारपकप्पधरे जे तत्तियं रयणिं संवसइ सव्वेसिं तेसिं तप्पत्तियं छए वा परिहारे वा // 169 // से गामंसि वा जाव रायहाणिसि वा अभिणिव्वगडाए अभिणिदुवाराए अभिणिक्खमणपवेसणाए णो कप्पइ बहुसुयस्स बब्भागमस्स एगाणियस्स भिक्खुस्स वत्थए, किमंग-पुण अप्पागमस्स अप्पस्सुयस्स 1 ॥१७०॥से गामंसि वा जाव रायहाणिंसि वा एगवगडाए एगदुवाराए एगणिक्खमणपवेसाए कप्पइ बहुसुयस्स बन्भागमस्स एगाणियस्स भिक्खुस्स वत्थए दुहओ कालं भिक्खुभावं पडिजागरमाणस्स // 171 // जत्थ एए बहवे इत्थीओ य पुरिसा य पण्हावेंति तत्थ से समणे णिग्गंथे अण्णयरंसि अचित्तंसि सोयंसि सुक्कपोग्गले णिग्याएमाणे हत्थकम्मपडिसवणपत्ते आवजइ मालियं परिहारट्ठाणं अणुग्घाइयं // 172 // जत्थ एए बहवे इत्थीओ य पुरिसा य पण्हावेति तत्थ से समणे णिग्गंथे अण्णयरंसि अचित्तंसि सोयंसि सुक्कपोग्गले
SR No.004389
Book TitleAnangpavittha Suttani Bio Suyakhandho
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatanlal Doshi, Parasmal Chandaliya
PublisherAkhil Bharatiya Sadhumargi Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year1984
Total Pages746
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, agam_jambudwipapragnapti, agam_jambudwipapragnapti, agam_nirayavalika, agam_kalpavatansika, agam_pushpika, agam_pushpachulika, agam_vrushnidasha, & agam
File Size13 MB
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