________________ वहिदसाओ अ. 1-12 883 महाविदेहे कसे उण्णाए णयरे विसुद्धपिइवंसे रायकुले पुत्तत्ताए पच्चायाहिंइ / तए णं से उम्मुक्बालभावे विण्णयपरिणयमेत्ते जोव्वणगमणुप्पत्ते तहारूवाणं थेराणं अंतिए केवलघोहिं बुझिहिइ 2 त्ता अगाराओ अणगारियं पव्वन्जिहिइ / से णं तत्थ अणगारे भविस्सइ इरियासमिए जाव गुत्तबम्भयारी / से णं तत्थ बहूहिं चउत्थहमदसमदुवालसेहिं मासद्धमासखमणेहिं विचित्तेहिं तवोकम्मेहि अप्पाणं भावमाणे बहूई वासाइं सामण्णपरियागं पाउणिस्सइ 2 त्ता मासियाए संलेहणाए अत्ताणं झुसिहि इ 2 त्ता सदि भत्ताइं अगसणाए छेइहिइ, जस्सट्ठाए कीरइ णग्गभावे मुण्डभावे अण्हाणए जाव अदंतवणए अच्छत्तए अणोवाहणए फलहसेजा कट्टसेजा केसलोए बम्भचेरवासे परघरपवेसे पिण्डवाओ लद्धावलद्धे उच्चावया य गामकण्टगा अहियासिज्जति तम8 आराहेइ 2 त्ता चरिमेहिं उस्सासणिस्सासेहिं सिज्झिहिइ बुज्इि हिइ जाव सव्वदुक्खाणं अंतं काहिइ / णिक्खेवओ // 181 // पढमं अज्झयणं समत्तं // 5 // 1 // एवं सेसावि एकारस अज्झयणा णेयव्वा संगहणीअणुसारेण अहीणमइरित्तं एक्कारससुवि त्तिबेमि // 182 // 5 / 12 / / वण्हिदसाओ समत्ताओ। पंचमो वग्गो समत्तो॥५॥णिरयावलियाइसुयवखंधो समत्तो।। समत्ताणि उवंगाणि // णिरियावलियाइउवंगाणं एगो सुयक्खंधो, पंच वग्गा, पंचसु दिवसेसु उद्दिस्संति, तत्थ चउसु वग्गेसु दस उद्देसगा, पंचमवग्गे बारस उद्देसगा // ॥णिरयावलियाइसुत्ताई समत्ताई // // बारस उवंगाई समत्ताइं॥