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________________ - अनंगपविद्धसुत्ताणि बंधइ. 2 त्ता अयमेयारूवं अभिग्गहं अभिगिण्हइ-जत्थेव णं अहं जलंसि वा एवं थलंसि वा दुग्गंसि वा णिणंसि वा पव्वयंसि वा विसमंसि वा गड्डाए वा दरीए वा पक्वलिज वा पवडिज वा, णो खलु मे कप्पइ पच्चुट्टित्तएत्तिकट्ट अयमेयारूवं अभिग्गहं अभिगिण्हइ 2 त्ता उत्तराए दिसाए उत्तराभिमुहपत्थाणं पत्थिए से सोमिले माहणरिसी पुव्वावरणहकालसमयंसि जेणेव असोगवरपायवे तेणेव उवागए, असोगवरपायवस्स अहे किढिणसंकाइयं ठवेइ 2 त्ता वेई वड्वेइ 2 त्ता उवलेवणसंमजणं करेइ 2 त्ता दमकलसहत्थगए जेणेव गंगा महाणई जहा सिवो जाव गंगाओ महाणईओ पच्चुत्तरइ 2 त्ता जेणेव असोगवरपायवे तेणेव उवागच्छइ 2 त्ता दन्भेहिं य कुसेहि य वालुयाए य वेइं रएइ 2 त्ता सरगं करेइ 2 त्ता जाव बलिवइस्सदेवं करेइ 2 त्ता कट्ठमुद्दाए मुहं बंधइ 2 ता तुसिणीए संचिट्ठइ // 101 / / तए णं तस्स सोमिलमाहणरि सिस्स पुव्वरत्तावरत्तकालसमयंसि एगे देवे अंतियं पाउब्भूए / तए णं से देवे सोमिलमाहणं एवं वयासी-हं. भो सोमिलमाहणा ! पव्वइया ! दुप्पव्वइयं ते / तए णं से सोमिले तस्स देवस्स दोच्चंपि तच्चपि एयमढे णो आढाइ णो परिजाणइ जाव तुसिणीए संचिट्ठ / तए णं से देवे सोमिलेणं माहणरिसिणा अणाढाइजमाणे जामेव दिसि पाउन्भूए तामेव दिसि पडिगए / तए णं से सोमिले कल्लं जाव जलंते वागलवत्थणियत्थे किढि णसंकाइयं गहाय गहियभण्डोवगरणे कट्टमुद्दाए मुहं बंधइ 2 ता उत्तराभिमुहे संपत्थिए // 102 / / तए णं से सोमिले बिइयदिवसम्मि पुव्वावरण्हकालसमयं सि जेणेव सत्तवण्णे तेणेव उवागए, सत्तवण्णस्स अहे किढिणसंकाइयं ठवेइ 2 त्ता वेई वड्डेइ जहा असोगवरपायवे जाव अग्गिं हुणइ, कट्ठमुद्दाए मुहं बंधइ, तुसिणीए संचिट्ठइ / तए णं तस्स सोमिलस्स पुत्वरत्तावरत्तकालसमयंसि एगे देवे अंतियं पाउन्भूए / तए णं से देवे अंतलिक्खपडिवण्णे जहा असोगवरपायवे जाव पडिगए। तए णं से सोमिले कल्लं जाव जलंते वागलवत्थणियत्थे किढिणसंकाइयं गेहइ 2 त्ता कट्टमुद्दाए मुहं बंधइ 2 त्ता उत्तरदिसाए उत्तराभिमुहे संपत्थिए // 103 // तए णं से सोमिले तइयदिवसम्मि पुवा(पच्छा)वरण्हकालसमयंसि जेणेव असोगवरपायवे तेणेव उवागच्छइ 2 त्ता असोगवरपायवस्स अहे किढिणसंकाइयं ठवेइ २त्ता वेई वडेइ जाव गंगं महाणई पच्चुत्तरइ 2 त्ता जेणेव असोगवरपायवे तेणेव उवागच्छह 2 जा असोगवरपायवस्स अहे कि ढिणसंकाइयं ठवेइ 2 त्ता वेइं रएइ २त्ता कट्टमुद्दाए मुहं बंधइ 2 त्ता
SR No.004389
Book TitleAnangpavittha Suttani Bio Suyakhandho
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatanlal Doshi, Parasmal Chandaliya
PublisherAkhil Bharatiya Sadhumargi Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year1984
Total Pages746
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, agam_jambudwipapragnapti, agam_jambudwipapragnapti, agam_nirayavalika, agam_kalpavatansika, agam_pushpika, agam_pushpachulika, agam_vrushnidasha, & agam
File Size13 MB
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