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________________ चंदपण्णत्ती पा. 15 816 वि सेसेइ : ता सत्तटुिंभागे विसेसेइ, ता जया णं सूरं गइसमावण्णं णव खत्ते गइ. समावण्णे भवइ से णं गइमायाए केवइयं विसेसेइ ? ता पंचभागे विसेसेइ,ता जया णं चंदं गइसमावण्णं अभीईणक्खत्ते गइसमावण्णे पुरथिमाए भागाए समासादेइ पुरन्थिमाए भागाए समासादित्ता णव मुहुत्ते सत्तावीसं च सत्तट्ठिभागे मुहुत्तस्स चंदेण मद्धिं जोयं जोएइ जोयं जोएत्ता जोयं अणुपरियइ जोयं अणुपरियट्टित्ता विप्पजहइ 2 त्ता विगयजोई यावि भवइ, ता जया णं चंदं गइसमावण्णं सवणे णक्खत्ते गइसमावणे पुरत्थिमाए भागाए समासादेइ पुत्थिमाए भागाए समासादेत्ता तीसं मुहुत्ते चंदेण सद्धिं जोयं जोएइ 2 त्ता जोयं अणुपरियट्टइ जो० 2 त्ता विप्पजहइ० विगयजोई यावि भवइ,एवं एएणं अभिलावेणं णेयव्वं, पण्णरसमुहुत्ताइं तीसइमुहुत्ताई पणयालीसमुहुत्ताई भाणियव्वाइं जाव उत्तरासादा० / ता जया णं चंदं गइसमावणं गहे गइममावण्णे पुरथिमाए भागाए समासादेइ पुर० 2 त्ता चंदेणं सद्धिं जोगं जुजइ 2 ता जोगं अणुपरियट्टइ 2 त्ता विप्पजहइ० विगय जोई यावि भवइ / ता जया णं सूरं गइसमावण्णं अभीईणखत्ते गइसमावणे पुरथिमाए भागाए समासादेइ पुर०२ ला चत्तारि अहोरत्ते छच्च मुहत्ते सूरेण सद्धिं जोयं जोएइ 2 त्ता जोयं अणुपरियदृइ 2 त्ता विपजहइ०२ त्ता विगयजोई यावि भवइ, एवं अहोरत्ता छ एक्कर्वसं मुहुत्ता य तेरस अहोरत्ता बारस मुहुत्ता य वसं अहोरत्ता तिण्णि मुहुत्ता य सव्वे भाणियव्वा जाव जया. णं सूरं गइसमावणं उत्तरासाढाणवखत्ते गइसमावण्णे पुरत्थिमाए भागाए समासादेइ पुर०२ त्ता वीस अहोरत्ते तिष्णि य मुहुत्ते सूरेण सद्धिं जोयं जोएइ जोयं जोएत्ता जोयं अणुपरियट्टई जो०जोएइ रत्ता विप्पजहइ २त्ता विगयजोई यावि भवइ, ता जया णं सूरं गइसमावण्णं णक्खत्ते गइसमावण्णे पुरत्थिमाए भागाए समासादेइ पु०२ त्ता सूरेण सद्धिं जोयं जुजइ २त्ता जोयं अणुपरियट्टइ 2 त्ता जाव विगयजोई यावि भवइ // 82 // ता णक्खत्तेणं मासेणं चंदे कइ मंडलाइं चरइ ? ता तेरस मंडलाइं चरइ तेरस य सत्तट्ठिभागे मंडलस्स, ता णक्खत्तेणं मासेणं सूरे कइ मंडलाइं चरइ ? ता तेरस मंडलाइं चरइ चोत्तालीसं च सत्तट्ठिभागे मंडलस्स, ता णवत्तेणं मासेणं णक्खत्ते कह मंडलाइं चरइ ? ता तेरस मंडलाइं चरइ अद्धसीयालीसं च सत्तट्ठिभागे मंडलस्स, ता चंदेणं मासेणं चंदे कइ मंडलाई चरइ ? ता चोद्दस चउभागाइं मंडलाइं चरइ एगं च चउव्वीससयभागं मंडलस्स, ता चंदेणं मासेणं मूरे कइ मंडलाइं चरइ ? ता पण्णरस चउभागूणाई मंडलाई चरइ एगं च
SR No.004389
Book TitleAnangpavittha Suttani Bio Suyakhandho
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatanlal Doshi, Parasmal Chandaliya
PublisherAkhil Bharatiya Sadhumargi Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year1984
Total Pages746
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, agam_jambudwipapragnapti, agam_jambudwipapragnapti, agam_nirayavalika, agam_kalpavatansika, agam_pushpika, agam_pushpachulika, agam_vrushnidasha, & agam
File Size13 MB
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