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________________ पण्णवणासुत्तं प. 22 541 काइया किरिया कजइ ? गोयमा! जस्स णं जीवस्स काइया वि.रिया कजह तम्स अहिगरणिया किरिया णियमा कजइ, जस्स अहिगरणिया किरिया कजइ तस्स दि काइया किरिया णियमा कजह / जस्स णं भंते ! जीवस्स काइया किरिया कजह तम्स पाओसिया किरिया कजइ, जस्स पाओसिया किरिया कजइ तस्स काइया किरिया कजइ ? गोयमा ! एवं चेव / जस्स णं भंते ! जीवस्स काइया किरिया कजइ तस्स पारियावणिया किरिया कजइ, जस्स पारियावणिया किरिया कजह तम्म काइया किरिया कजाइ ! गोयमा ! जस्स णं जीवस्स काइया किरिया कजइ तस्म पारियावणिया० सिय कजइ, सिय णो कजइ, जस्म पुण पारियावणिया किरिया कजइ तस्स काइया० णियमा कजइ, एवं पाणाइवाय किरिया वि / एवं आइल्लाओ परोप्परं णियमा तिण्णि कजति / जस्स आइल्लाओ तिण्णि कजंति तस्स उवरिल्लाओ दोण्णि सिय कंजंति, सिय णो कजंति, जस्स उवरिलाओ दोणि कजंति तस्स आइल्लाओ णियमा तिणि कजति / जस्स णं भंते ! जीवस्स पारियावणिया किरिया कजइ तस्स पाणाइवायकिरिया कजइ, जस्स पाणाइवायकिरिया फजइ तस्स पारियावणिया किरिया कजइ ? गोयमा ! जस्स णं जीवस्स पारियावणिया किरिया कजइ तम्स पाणाइवायकिरिया सिय कजइ, सिय णो कजइ, जस्स पुण पाणाइवायकिरिया कजह तस्स पारियावणिया किरिया णियमा कजइ। जस्स गं भंते ! गेरइयस्स काइया किरिया कजइ तस्स अहिगरणिया किरिया कजइ ? गोयमा! जहेव जीवस्स तहेव णेरइयस्स वि, एवं णिरंतरं जाव वेमाणियम्स // 588 // अं समयं णं भंते ! जीवस्स काइया किरिया कजह तं समयं अहिगरणिया किरिया कजइ, मं समय अहिगरणिया० कजइ तं समयं काइया किरिया कजइ ? एवं जहेव आइल्लओ दंडओ तहेव भाणियव्वो जाव वेमाणियस्म / जं देसं णं भंते ! जीवस्स काइया किरिया तं देमं णं अहिगरणिया किरिया तहेघ जाव वेमाणियस्स / जं पएसं णं भंते ! जीवस्स काइया किरिया तं पएसं णं अहिगरणिया किरिया एवं तहेव नाव वेमाणियस्स / एवं एए जस्स ज समयं ज देसं जं पएसं णं चत्तारि दंडगा होति // 589 / / कइ णं भंते ! आओजियाओ किरियाओ पण्णत्ताओ ? गोयमा ! पंच आओजियाओ किरियाओ पण्णत्ताओ। तंजहा-काइया जाव पाणाइयवायकिरिया, एवं णेरइयाणं जाव वेमाणियाणं / जस्स णं भंते ! जीवस्स काइया आओजिया किरिया अस्थि तस्स अहिगरणिया आओजिया किरिया अस्थि, जस्स अहिंगरणिया आओजिया किरिया अस्थि तस्स काइया आओजिया किरिया अस्थि ? एवं एएणं
SR No.004388
Book TitleAnangpavittha Suttani Padhamo Suyakhandho
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatanlal Doshi, Parasmal Chandaliya
PublisherAkhil Bharatiya Sadhumargi Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year1984
Total Pages608
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, agam_aupapatik, agam_rajprashniya, agam_jivajivabhigam, & agam_pragyapana
File Size11 MB
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