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________________ 542 अनंगपविट्ठसुत्ताणि अभिलावेणं ते चेव चत्तारि दंडगा भाणियव्वा, जस्स जं समयं जं देसं जं पएसं जाव वेमाणियाणं // 590 // जीवे णं भंते ! जं समयं काइयाए अहिगरणियाए पाओसियाए किरियाए पुढे तं समयं पारियावणियाए पुढे, पाणाइवायकिरियाए पुढे ? गोयमा! अत्थेगइए जीवे एगइयाओ जीवाओ जं समयं काइयाए अहिगरणियाए पाओसियाए किरियाए पुढे तं समयं पारियावणियाए किरियाए पुढे, पाणाइवाय किरियाए पुढे 1, अत्थेगइए नीवे एगइयाओ जीवाओ जं समयं काइयाए अहिगरणियाए पाओसियाए किरियाए पुढे तं समयं पारियावणियाए किरियाए पुढे, पाणाइवायकिरियाए अपुढे 2, अत्थेगइए जीवे एगइयाओ जीवाओ जं समयं काइयाए अहिगरणियाए पाओसियाए. पुढे तं समयं पारियावणियाए किरियाए अपुढे, पाणाइवायकिरियाए अपुढे 3 // 591 // कइ णे.भंते ! किरियाओ पण्णत्ताओ ! गोयमा ! पंच किरियाओ पण्णत्ताओ। तंजहा-आरंभिया, परिग्गहिया, मायावत्तिया, अपञ्चक्खाणकिरिया, मिच्छादसणवत्तिया। आरंभिया णं भंते ! किरिया कस्स क.नइ ? गोयमा ! अण्णयरस्स वि पमत्तसंजयस्स / परिग्गहिया णं भंतें ! किरिया कस्स कजइ ? गोयमा ! अण्णयरस्स वि संजयासंजयस्स / मायावत्तिया णं भंते ! किरिया कस्स कजइ ? गोयमा! अण्णयरस्स वि अपमत्तसंजयस्स / अपच्चक्खाणकिरिया ण भंते ! कस्स कजइ ? गोयमा! अण्णयरस्स वि अपच्चक्खाणिस्स / मिच्छादंसणवत्तिया ण मंते ! किरिया कस्स कजइ ? गोयमा! अण्णयरस्स वि मिच्छादंसणिस्स // 592 / / णेरइयाणं भंते ! कइ किरियाओ पण्णत्ताओ? गोयमा ! पंच किरियाओ पण्णत्ताओ। तंजहा-आरंभिया जाव मिच्छादंसणवत्तिया / एवं जाव वेमाणियाणं / नस्स णं भंते ! जीवस्स आरंभिया किरिया कजइ तस्स परिग्गहिया. कजइ, जस्स परिग्गहिया किरिया कजह तस्स आरंभिया किरिया कजह ? गोयमा! जस्स णं जीवस्स आरंभिया किरिया कजह तस्स परिग्गहिया० सिय कजइ, सिय णो कजइ, जस्स पुण परिग्गहिया किरिया कजइ तस्स आरंभिया किरिया णियमा कजइ / जस्स णं भंते ! जीवस्स आरंभिया किरिया कजइ तस्स मायावत्तिया किरिया क जइ पुच्छा / गोयमा ! जस्स णं जीवस्स आरंभिया किरिया क.जइ तस्स मायावत्तिया किरिया णियमा कजइ, जस्स पुण मायावत्तिया किरिया कजइ तस्स आरंभिया किरिया सिय कजइ, सिय णो कजइ / जस्स णं भंते ! जीवस्स आरंभिया किरिया कजह तस्स अपञ्चक्खाणकिरिया० पुच्छा / गोयमा! जस्स णं जीक्स्स आरंभिया किरिया कजइ तस्स अपच्चक्खाणकिरिया सिय कजइ, सिय णो क.जबू, जस्स पुण
SR No.004388
Book TitleAnangpavittha Suttani Padhamo Suyakhandho
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatanlal Doshi, Parasmal Chandaliya
PublisherAkhil Bharatiya Sadhumargi Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year1984
Total Pages608
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, agam_aupapatik, agam_rajprashniya, agam_jivajivabhigam, & agam_pragyapana
File Size11 MB
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