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________________ 504 . अनंगपविट्ठसुत्ताणि कण्हलेस्सा कालएणं वण्णेणं साहिजइ, णीललेस्सा णीलएणं वण्णेणं साहि जइ, काउलेस्सा काललोहिएणं वणेणं साहिजइ, तेउलेस्सा लोहिएणं वण्णेणं साहिजई, पम्हलेस्सा हलिद्दएणं वण्णेण साहिजइ, सुक्कलेस्सा सुकिलएणं वण्णेणं साहिजइ / / 514 // कण्हलेस्सा णं भंते ! केरिसिया आसाएणं पण्णत्ता 1 गोयमा ! से जहाणामए जिंबे इ वा णिबसारे इ वा णिबछल्ली इ वा णिबफाणिए इ वा कुडए इ वा कुडगफलए इ वा कुडगछल्ली इ वा कुडगफाणिए इ वा कड्डुगतुंबी इ वा कडुगतुंबिफले इ वा. खारत उसी इ वा खारतउसीफले इ वा देवदाली इ वा देवदालीपु-फे इ वा मियवालुंकी इ वा मियवालंकीफले इ वा घोसाडए इ वा घोसाडईफले इ वा कण्हकंदए इ वा वजकंदए इ वा, भवेयारूवे ? गोयमा ! णो इणढे समढे, कण्हलेस्सा | एत्तो अणिट्टतरिया चेव जाव अमणामतरिया चेव आसाएणं पण्मत्ता // 515 / / णीललेस्साए पुच्छा। गोयमा ! से जहाणामए भंगी इ वा भंगीरए इ वा पाढाइ वा चविया इ वा चित्तामूलए इ वा पिप्पली इ वा पिप्पलीमूलए इ वा पिप्पलीचुण्णे इ वा मिरिए इ वा मिरियषुण्णए इ वा सिंगबेरे इ वा सिंगबेरचुण्णे इ वा, भवेयारूवे ? गोयमा! णो इणढे समढे, णीललेस्सा णं एत्तो जाव अमणामतरिया चेव आसाएणं पण्णत्ता // 516|| काउलेस्साए पुच्छा / गोयमा! से जहाणामए अंबाण वा अंबाडगाण वा माउलुगाण वा बिल्लाण वा कविट्ठाण वा भजाणं वा फणसाण वा दाडिमाण वा पारेवयाण वा अक्खोडयाण वा चोराण वा बोराण वा तिदुयाण वा अपक्काणं अपरिवागाणं वण्णेणं अणुववेयाणं गंधेणं अणुववेयाणं फासेणं अणुववेयाणं, भवेयारूवे ? गोयमा! णो इणढे समढे जाव एत्तो अमणामतरिया चेव काउलेस्सा अस्साएणं पण्णत्ता // 517 // तेउलेस्सा णं भंते ! पुच्छा। गोयमा ! से जहाणामए अंबाण वा जाव पक्काणं परियावण्णाणं वण्णेणं उववेयाणं पसत्येणं जाव फासेणं जाव एत्तो मणामयरिया चेव तेउलेस्सा आसाएणं पण्णत्ता // 518 // पम्हलेस्साए पुच्छा / गोयमा ! से नहाणामए चंदप्पभा इ वा मणसिला इ वा वरसीधू इ वा वरवारुणी इ वा पसासवे इ वा पुप्फासवे इ वा फलासवे इ वा चोयासवे इ वा आसवे इ वा महू इ वा मेरए इ वा कविसाणए इ वा खज्जूरसारए इ वा मुद्दियासारए इ वा सुपक्कखोयरसे इ वा अट्ठपिटणिट्रिया इ वा जंबुफलकालिया इ वा वरप्पसण्णा इ वा (आसला)मंसला पेसला ईसिं ओढवलंबिणी ईसि वोच्छेयकडुई ईसि तंबच्छिकरणी उक्कोसमयपत्ता वणेणं उववेया जाव फासेणं आसायणिजा वीसायणिज्जा पीणणिजा विहणिजा दीवणिजा दप्पणिजा
SR No.004388
Book TitleAnangpavittha Suttani Padhamo Suyakhandho
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatanlal Doshi, Parasmal Chandaliya
PublisherAkhil Bharatiya Sadhumargi Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year1984
Total Pages608
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, agam_aupapatik, agam_rajprashniya, agam_jivajivabhigam, & agam_pragyapana
File Size11 MB
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