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________________ . पण्णवणासुत्तं 50 17 उ. 4 पणत्ता ? गोयमा ! से बहाणामय खइरसारए इ वा कहरसारए इ वा धमाससारे इ वा तंबे इ वा तंबकरोडे इ वा तंबच्छिवाडियाए इ वा वाइंगणिकुसुमे इ वा कोइलच्छदंकुसुमे इ वा जवासाकुसुमे इ वा, भवेयारूवे ? गोयमा ! णो इणढे समढे / काउलेस्सा यं एत्तो अणिट्ठयरिया जाव अमणामयरिया चेव वण्णेणं पण्णत्ता // 510 // तेउलेस्सा णं भंते ! केरिसिया वण्णेणं पण्णत्ता ! गोयमा ! से जहाणामए ससरुहिरे इ वा उरभरुहिरे इ वा वराहरुहिरे इ वा संबररुहिरे इ वा मणुस्सरुहिरे इ वा इंदगोवे इ वा बालेंदगोवे इ वा बालदिवायरे इ वा संझारागे इ वा गुंजद्धरागे इवा जाइहिंगुले इ वा पवालंकुरे इ वा लक्खारसे इ वा लोहियक्खमणी इ वा किमिरागकंबले इ वा गयतालुए इ वा चीणपिट्ठरासी इ वा पारिजायकुसुमे इ वा जासुमणकुसुमे इ वा किंसुयपुप्फरासी ह वा रत्तुप्पले इ वा रत्तासोगे इ वा रत्तकणवीरए इ वा रत्तबंधुजीवए इ वा, भवेयारूवा? गोयमा ! णो इणढे समटे / तेउलेस्सा णं एत्तो इट्टतरिया चेव जाव मणामतरिया चेव वण्णेणं. पण्णत्ता // 511 // पम्हलेस्सा णं भंते ! केरिसिया वण्णेणं पणत्ता 1 गोयमा! से जहाणामए चंपे इ वा चंपयछल्ली इ वा चपयभेए इ वा हालिद्दा इ वा हालिद्दगुलिया इ वा हालिद्दभेए इ वा हरियाले इ वा हरियालगुलिया इ वा हरियालभेए इ वा चिउरे इ वा चिउररागे इ वा सुवण्णसिप्पी इ वा वरकणगणिहसे इ वा वरपुरिसवसणे इ वा अलइकुसुमे इ वा चंपयकुसुमे इ वा कणियारकुसुमे इ वा कुहंडयकुसुमे इ वा सुवण्णजूहिया इ वा सुहिरणियाकुसुमे इ वा कोरिंटमल्लदामे इ वा पीयासोगे इ वा पीयकणवीरे इ वा पीयबंधुजीवए इ वा, भवेयारूवे ? गोयमा ! जो इणढे समढे / पम्हलेस्सा णं एत्तो इट्ठतरिया चेव जाव मणामतरिया चेव वण्णेणं पण्णत्ता // 512 // सुकलेस्सा णं भंते ! केरिसिया वण्णेणं पण्णत्ता ? गोयमा ! से जहाणामए अंके इ वा संखे इ वा चंदे इ वा कुंदे इ वा दगे इ वा दगरए इ वा दही इ वा दहिघणे इ वा खीरे इ वा खीरपूरए इ वा सुक्कच्छिवाडिया इ का पेहुणमिजिया इ वा धंतधोयरुप्पपट्टे ई वा सारयबलाहए इ वा कुमुयदले इ वा पोंडरीयदळे इ वा सालिपिट्ठरासी इवा कुडगपुप्फरासी इ वा सिंदुवारमल्लदामे इ वा सेयासोए इ वा सेयकणवीरे इ वा सेयंबंधुजीवए इ वा, भवेयारूवे ? गोयमा ! णो इणढे समझे। सुक्कलेस्सा णं एत्तो इतरिया चेव जाव मणामतरिया चेव वण्णेणं पण्णत्ता // 513 // एयाओ णं भंते ! छल्लेस्साओ कइसु वण्णेसु साहिति 1 गोयमा ! पंचसु वण्णेसु साहिति, तंजहा
SR No.004388
Book TitleAnangpavittha Suttani Padhamo Suyakhandho
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatanlal Doshi, Parasmal Chandaliya
PublisherAkhil Bharatiya Sadhumargi Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year1984
Total Pages608
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, agam_aupapatik, agam_rajprashniya, agam_jivajivabhigam, & agam_pragyapana
File Size11 MB
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