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________________ जीवाजीवाभिगमे प०३ 249 कालोयस्स णं समुद्देस्स उदए आसले मासले पेसले कालए भासरासिवण्णाभे पगईए उदगरसेणं पण्णत्ते, कालमहाकाला एत्थ दुवे देवा महिड्ढिया जाव पलिओवमहिइया परिवसंति, से तेणटेणं गोयमा ! जाव णिच्चे // कालोए णं भंते ! समुद्दे कइ चंदा पभासिंसु वा 3 ? पुच्छा, गोयमा ! कालोए णं समुद्दे बायालीसं चंदा पभासेंसु वा ३-बायालीसं चंदा बायालीसं च दिणयरा दित्ता / / कालोदहिम्मि एए चरंति संबद्धलेसागा // 1 // णक्खत्ताण सहस्सं एगं छावत्तरं च सयमण्णं / छच्च सया छण्णउया महागहा तिण्णि य सहस्सा // 2 // अट्ठावीसं कालोदहिम्मि बारस य सयसहस्साई / णव य सया पण्णासा तारागणकोडिकोडीणं // 3 // सोभेसु वा 3 // 175 // कालोयं णं समुदं पुक्खरवरे णामं दीवे वट्टे वलयागारसंठाणसं ठिए सव्वओ समंता संपरि० तहेव जाव समचक्वालमंठाणसंठिए णो विसमचक्वालसंठाणसंटिए / पुक्खरवरे णं भंते ! दीवे केवइयं चक्कवालविक्खंभेणं केवइयं परिक्खेवेणं पण्णत्ते ? गोयमा! सोलस जोयणसयसहस्साई चक्कवालविवखंभेणं-एगा जोयणकोडी बाणउई खलु भवे सयसहस्सा / अउणाणउइं अट्ठ सया चउणउया य [ परिरओ] पुक्खरवरम्स // 1 // से गं एगाए पउमवरवेइयाए एगेण य वणसंडेणं० संपरि० दोण्हवि वण्णओ॥ पुक्खरवरस्स णं भंते ! दीवस्स कइ दारा पण्णत्ता ? गोयमा ! चत्तारि दारा पण्णत्ता, तंजहा-विजए वेजयंते जयंते अपराजिए // कहि णं भंते ! पुक्खरवरस्स दीवस्स विजए णामं दारे पण्णत्ते ? गोयमा ! पुक्खरवरदीवपुरच्छिमपरंते पुक्खरोदसमुद्दपुरच्छिमद्धस्स पच्चन्थिमेणं एत्थ णं पुक्स्वरवरदीवस्स विजए णामं दारे पण्णत्ते तं चेव सव्वं, एवं चत्तारिवि दारा, सीयासीओया णस्थि भाणियव्वाओ॥ पुक्खरवरस्स णं भंते ! दीवस्स दारस्स य 2 एस णं केवइयं अबाहाए अंतरे पण्णत्ते ?. गोयमा !-अडयाल सयसहस्सा बावीसं खलु भवे सहस्साई / अगुणुत्तरा य चउरो दारंतर पुक्खरवरस्स // 1 // पएसा दोण्हवि पुट्ठा, जीवा दोसु भाणियव्वा // से केणतुणं भंते ! एवं बुच्चइ-पुक्खरवरदीवे 2 1 गो० ! पुक्खरवरे णं दीवे तत्थ 2 देसे 2 तहिं 2 बहवे पउमरुक्खा पउमवणसंडा णिच्चं कुसुमिया जाव चिटुंति, पउममहापउमरुक्खा एत्थ णं पउमपुंडरीया णामं दुवे देवा महिड्ढिया जाव पलिओवमट्टिइया परिवसंति, से तेणटेणं गोयमा ! एवं वुच्चइ-पुक्खरवरदीवे 2 जाव णिच्चे // पुक्खरखरे णं भंते ! दीवे केवइया चंदा पभासिंसु वा 3 ? एवं पुच्छा,चोयालं चंदसयं चउयालं चेव सूरियाण सयं / पुक्खरवरदीवंमि चरंति एए पभासेंता // 1 // चत्तारि सहस्साई बत्तीसं चेव होंति णक्खत्ता / छच्च सया बावत्तर
SR No.004388
Book TitleAnangpavittha Suttani Padhamo Suyakhandho
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatanlal Doshi, Parasmal Chandaliya
PublisherAkhil Bharatiya Sadhumargi Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year1984
Total Pages608
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, agam_aupapatik, agam_rajprashniya, agam_jivajivabhigam, & agam_pragyapana
File Size11 MB
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