SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 229
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ 220 अनंगपविट्ठसुत्ताणि गइया देवा उक्किट्ठीओ करेंति, अप्पेगइया देवा उच्छोलेंति पच्छोलिंति उक्ट्ठिीओ करेंति, अप्पेगइया देवा सीहणायं करेंति, अप्पेगइया देवा पायदद्दश्यं करेंति, अप्पेगइया देवा भूमिचवेडं दलयंति, अप्पेगइया देवा सीहणायं पायदद्दरयं भूमिचवेडं दलयंति, अप्पेगइया देवा हक्कारेंति, अप्पेगइया देवा वुक्कारेंति, अप्पेगइया देवा थक्कारेंति, अप्पे० पुक्कारेंति, अप्पेगइया देवा णामाई सावेति, अप्पेगइया देवा हक्कारेति वुक्कारेति थक्कारेति पुक्कारेंति णामाइं सावेंति, अप्पेगइया देवा उप्पयंति, अप्पेगइया देवा णिवयंति, अप्पेगइया देवा परिवयंति, अप्पेगइया देवा उप्पयंति, णिवयंति परिवयंति,अप्पेगइया देवा जलेंति,अप्पेगइया देवा तवंति, अप्पेगइया देवा पतवंति, अप्पेगइया देवा जलंति तवंति पतवंति, अप्पेगइया देवा गजेंति,अप्पेगइया देवा विज्जुयायंति, अप्पेगइया देवा वासंति, अप्पेगइया देवा गर्जति विज्जुयायंति वासंति, अप्पेगइया देवा देवसण्णिवायं करेंति, अप्पेगइया देवा देवुक्कलियं करेंति, अप्पेगइया देवा देवकहकहं करेंति, अप्पेगइया देवा देवदुहदुहं करेंति, अप्पेगइया देवा देवसण्णिवायं देवउक्कलियं देवकहकहं देवदुहदुहं करेंति,अप्पेगइया देवा देवुजोयं करेंति, अप्पेगइया देवा विज्जुयारं करेंति, अप्पेगइया देवा चेलुक्खेवं करेंति, अप्पेगइया देवा देवुजोयं विज्जुयारं चेलुक्खेवं करेंति, अप्पेगइया देवा उप्पलहत्थगया जाव सहस्सपत्त० घंटाहत्थगया कलसहत्थगया जाव धूवकडुच्छुहत्थगया हतुह जाव हरिसवसविसप्पमाणहियया विजयाए रायहाणीए सव्वओ समंता आधाति परिधावेति // तए णं तं विजयं देवं चत्तारि सामाणियसाहस्सीओ चत्तारि अग्गमहिसीओ सपरिवाराओ जाव सोलसआयरक्खदेवसाहस्सीओ अण्णे य बहवे विजयरायहाणीवत्थव्वा वाणमंतरा देवा य देवीओ य तेहिं वरकमलपइट्ठाणेहिं जाव अट्ठसएणं सोवणियाणं कलसाणं तं चेव जाव अट्ठसएणं भोमेजाणं कलसाणं सव्वोदएहिं सव्वमट्टियाहिं सव्वतुवरेहिं सव्वपुप्फेहिं जाव सव्वोसहि सिद्धत्थएहिं सव्विड्ढीए जाव णिग्घोसणाइयरवेणं महया 2 इंदाभिसेएणं अभिसिंचंति 2 त्ता पत्तेयं 2 सिरसावत्तं अंजलिं कटु एवं वयासी-जय जय णंदा ! जय जय भद्दा ! जय जय णंद भदं ते अजियं जिणेहि जियं पालयाहि अजियं जिणेहि सत्तुपक्खं जिनं पालेहि मित्तपक्खं जियमाझे वसाहि तं देव! णिरुवसग्गं इंदो इव देवाणं चंदो इव ताराणं चमरो इव असुराणं धरणो इव णागाणं भरहो इव मणुयाणं बहूणि पलिओवमाई बहूणि सागरोवमाणि बहूणि पलिओवमसागरोवमाणि चउण्हं सामाणियसाहस्सीणं जाव आय
SR No.004388
Book TitleAnangpavittha Suttani Padhamo Suyakhandho
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatanlal Doshi, Parasmal Chandaliya
PublisherAkhil Bharatiya Sadhumargi Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year1984
Total Pages608
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, agam_aupapatik, agam_rajprashniya, agam_jivajivabhigam, & agam_pragyapana
File Size11 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy