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________________ 170 अनंगपविट्ठसुत्ताणि पक्खीणं, णाणत्तं ठिई जहण्णेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं तिणि पलिओवमाई,उव्वट्टित्ता चउत्थि पुढविं गच्छंति, दस जाईकुलकोडी० // जलयरपंचेंदियतिरिक्खजोणियाणं पुच्छा, जहा भुयपरिसप्पाणं णवरं उव्वट्टित्ता जाव अहेसत्तमं पुढविं अद्धतेरस जाइकुलकोडीजोणीपमुह० प० // चउरिदियाणं भंते ! कइ जाईकुलकोडीजोणीपमुहसयसहस्सा पण्णत्ता ? गोयमा ! णव जाईकुलकोडीजोणीपमुहसयसहस्सा समक्खाया। तेइंदियाणं पुच्छा, गोयमा ! अट्ठजाईकुल जाव मक्खाया। बेइंदियाणं भंते ! कइ जाई. पुच्छा, गोयमा ! सत्त जाईकुलकोडीजोणीपमुह० // 97 // कइ णं भंते ! गंधा पण्णत्ता 1 कइ ण भंते ! गंधसया पण्णत्ता ?, गोयमा ! सत्त गंधा सत्त गंधसया पण्णत्ता। कइ णं भंते ! पुप्फजाईकुलकोडीजोणिपमुहसयसहस्सा पण्णत्ता 1 गोयमा ! सोलसपुप्फजाईकुलकोडीजोणीपमुहसयसहस्सा पण्णत्ता, तंजहाचत्तारि जलयराणं चत्तारि थलयराणं चत्तारि महारुक्खियाणं चत्तारि महागुम्मियाणं / कइ णं भंते ! वल्लीओ कइ वल्लिसया पण्णत्ता 1 गोयमा ! चत्तारि वल्लीओ चत्तारि वल्लीसया पण्णत्ता / कह णं भंते ! लयाओ कइ लयासया पण्णत्ता ? गोयमा ! अह लयाओ अट्ट लयासया पण्णत्ता / कइ णं भंते ! हरियकाया हरियकायसया पण्णत्ता ? गोयमा ! तओ हरियकाया तओ हरियकायसया पण्णत्ता, फलसहस्सं च बिंटबद्धाणं फलसहस्सं च णालबद्धाणं, ते सव्वे वि हरियकायमेव समोयरंति, ते एवं समणुगम्ममाणा 2 एवं समणुगाहिजमाणा 2 एवं समणुपेहिजमाणा 2 एवं समणुचिंतिजमाणा 2 एएसु चेव दोसु काएसु समोयरंति, तंजहा–तसकाए चेव थावरकाए चेव, एवामेव सपुव्वावरणं आजीवियदिटुंतेणं चउरासीइ जाइकुलकोडीजोणीपमुहसयसहस्सा भवंतीति मक्खाया // 98 // अस्थि णं भंते ! विमाणाई सोत्थियाणि सोस्थियावत्ताई सोत्थियपभाई सोस्थियकंताई सोत्थियवण्णाई सोत्थियलेसाई सोत्थियज्झयाई सोत्थियसिंगाराइं सोस्थियकूडाई सोत्थियसिट्ठाई सोत्थुत्तरवडिंसगाई ? हंता अस्थि / ते णं भंते ! विमाणा केमहालया प०? गोयमा ! जावइए णं सूरिए उदेइ जावइए णं च सूरिए अत्थमइ एवइया तिण्णोवासंतराई अत्थेगइयस्स देवस्स एगे विक्कमे सिया, से णं देवे ताए उकिट्ठाए तुरियाए जाव दिव्वाए देवगईए वीईवयमाणे 2 जाव एगाई वा दुयाहं वा उक्कोसेणं छम्मासा वीईवएजा, अत्थेगइया विमाणं वीईवएजा अत्थेगइया विमाणं णो वीईवएजा, एमहालया णं गोयमा ! ते विमाणा पण्णत्ता, अस्थि णं भंते ! विमाणाई अच्चीणि अच्चिरावत्ताई तहेव जाव अच्चुत्तरवडिंसगाई ?
SR No.004388
Book TitleAnangpavittha Suttani Padhamo Suyakhandho
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatanlal Doshi, Parasmal Chandaliya
PublisherAkhil Bharatiya Sadhumargi Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year1984
Total Pages608
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, agam_aupapatik, agam_rajprashniya, agam_jivajivabhigam, & agam_pragyapana
File Size11 MB
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