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________________ जीवाजीवाभिगमे प०३ 156 य असंखेजवित्थडा य, तत्थ णं जे ते संखेजवित्थडा ते णं संखेजाइं जोयणसहस्साई आयामविक्खंभेणं संखेजाइं जोयणसहस्साई परिक्खेवेणं पण्णत्ता तत्थ णं जे ते अमंखेजवित्थडा ते णं असंखेज्जाइं जोयणसहस्साई आयामविखंभेणं असंखेजाई जो पणमहम्माइं परिक्खेवेणं पण्णत्ता एवं जाव तमाए, अहेसत्तमाए णं भंते ! पुच्छा, गोयमा ! दुविहा पण्णत्ता, तंजहा–संखेजवित्थडे य असंखेजवित्थडा य, तत्थ णं जे ते संखेजवित्थडे से णं एक जोयणसयसहस्सं आयामविक्खंभेणं तिण्णि जोयणसयसहस्साइं सोलस सहस्साइं दोण्णि य सत्तावीसे जोयणसए तिणि कोसे य अट्ठावीसं च धणुमयं तेरस य अंगुलाई अद्धंगुलयं च किंचिविसेसाहिए परिक्खेवेणं पण्णत्ता, तत्थ णं जे ते असंखेजवित्थडा ते णं असंखेन्जाइं जोयणसयसहस्साई आयामविखंभेणं असंखेजाइं जाव परिक्खेवेणं पण्णत्ता / / 82 // इमीसे णं भंते ! रयणप्पभाए पुढवीए णरया केरिसया वण्णेणं पण्णत्ता ? गोयमा ! काला कालोभासा गंभीरलोमहरिसा भीमा उत्तासणया परमकिण्हा वण्णेणं पण्णत्ता, एवं जाव अहेसत्तमाए / इमीसे णं भंते ! रयणप्पभाए पुटवीए णरगा केरिसया गंधेणं पण्णत्ता ? गोयमा ! से जहाणामए अहिमडेइ वा गोमडेइ वा सुणगमडेई वा मजारमडेइ वा मणुस्समडेइ वा महिसमडेइ वा मूसगमडेइ वा आसमडेइ वा हत्थिमडेइ वा सीहमडेइ वा वधमडेइ वा विगमंडेइ वा दीवियमडेइ वा. मयकुहियचिरविणट्ठकुणिमवावण्णदुब्भिगंधे असुइविलीणक्गियबीभत्थदरिसणिजे किमिजालाउलसंसत्ते, भवेयारूवे सिया ?, णो इणढे समटे, गोयमा ! इमीसेणं रयणप्पभाए पुढवीए णरगा एत्तो आणिट्ठतरगा चेब अकंततरगा चेव जाव' अमणामतरगा चेव गंधेणं पण्णत्ता, एवं जाव अहेसत्तमाए पुढवीए // इमीसे णं भंते ! रयणप्प० पु० णरया केरिसया फासेणं पण्णत्ता ? गोयमा ! से जहाणामए असिपत्तेइ वा खुरपत्तेइ वा कलंबचीरियापत्तेह वा सत्तग्गेइ वा कुंतग्गेइ वा तोमरग्गेइ वा णारायग्गेइ वा सूलग्गेइ वा लउलग्गेइ वा भिंडिमालग्गेइ वा सूइकलावेइ वा कवियच्छूइ वा विंचुयकंटएइ वा इंगालेइ वा जालेइ वा मुम्मुरेइ वा अच्चीइ वा अलाएइ वा सुद्धागणीइ वा, भवे एयारूवे सिया ?, णो इणढे समढे, गोयमा ! इमीसे णं रयणप्पभाए पुढवीए जरगा एत्तो अणिहतरगा चेव जाव अमणामतरगा चेव फासेणं पण्णत्ता, एवं जाव अहेसत्तमाए पुढवीए // 83 // इमीसे णं भंते ! रयणप्पभाए पुढवीए णरगा केमहालिया पण्णत्ता ? गोयमा ! अयण्णं जंबुद्दीवे 2 सव्वदीवसमुद्दाणं सव्वभंतरए
SR No.004388
Book TitleAnangpavittha Suttani Padhamo Suyakhandho
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatanlal Doshi, Parasmal Chandaliya
PublisherAkhil Bharatiya Sadhumargi Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year1984
Total Pages608
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, agam_aupapatik, agam_rajprashniya, agam_jivajivabhigam, & agam_pragyapana
File Size11 MB
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