________________ [34] पञ्चकल्प-भाष्ये जह हेमकुमारो ऊ इंदमहे बालियाणिमित्तेणं / मुच्छिय गिद्धो अतिसेवणेण वेदोवघातमतो // 307 // एयस्स वि भास इमा जह एगो रायपुत्तो वण्णेणं। तवियवरहेमसरिसो तो से णामं कतं हेमो // 308 // सो अण्णदा कदाई इंदमहे इंदठाणपत्ताओ। / णगरस्स बालियाओं पुप्फादीहत्व दटूणं // 309 // पुच्छति सेवगपुरिसे कि एया आगताउ इह इंति ? / ते बिंती सोहरगं मग्गंते ता वरत्थीओ // 310 // तो बेई एयासिं इंदेण वरी हु दिण्ण अहमेव / घेत्तूणं ता तेणं छूढा अंतेउरे सव्वा // 311 // तो णागरगा रणो उवटिता मोयवेह एताओ। तो बेति मज्झ पुत्तो किं जामाता ण रुचनि भ 312 तोतासु अतिप्पसत्तस्स तस्स णिग्गलियसव्वीयस्स वेदोवघातो जातो सागारीयं ण उद्वेति // 313 // तो ताहि रूसियाहिं सो अद्दागेहिं घातितो ताहे / वेदोवघातपंडो एसोभिहितो समासेणं // 314 // उवहत उवगरणम्मी सेज्जातरभूणियाणिभित्तेणं / तो कविलगस्स वेदो ततिओ जातो दुरहियासो 315