________________ नपुंसकस्य षोडशभेदाः 33] एकेके तिह भयणा इत्थी थीसरिस पुरिस अपुमे य / इय पुरिसणपुंसेथा एक होति वेदतिगं // 298 // सो पुण णपुंसगो तू सोलसहा होति तू अणेयव्यो। पंडग कीव वातिय कुंभी ईसालु सउणी य // 299 // तकम्ममेवि पक्खियमपक्खिए तह सुगंधि आसित्ते / वद्विन चिप्पिय मंतोमहीहिं वा उवहए जे य // 30 // इसिलत्त देवसत्ते रतेसि परूवणा इमा होलि। लहिय पंडो लिविहो लक्खणदूसी य उवधाओ 301 पंडगलक्खण जस्सा जाचा अवलोयणेण तु गहाणं। सो लक्खणतो पंडो दूसीपंडो इनो होति // 302 // दूसियवेदा दूसी दोसु य वेदेसु सज्जए दूसी। दो सेवइ वा वेदो दोसु व दूसिज्जई दूसी // 30 // दूसेति मेला वा लो दुह आलित्तो तह य ऊसित्तो। सावच्चो आभित्तो अणवचो होति सित्तो // 304 // उवघाचि दुविहा वेदे य तहेव होति उवकरणे। वेदांवधायडा इणनो तहियं मुणेघव्वो // 30 // पुचि दुबिग्माणं कम्भाणं असुहफलविवागणं / तो उचहलीने वेदा जीवाणं पावकम्नाणं // 306 //