________________ क्षेत्रोपसम्पद् [269] पत्ते उग्गह साहारणे य वासे तहेव उडुबद्धे / सव्वदिसासु सकोसं णिव्वाघातेण पत्ते उ // 2416 // अडविजलतेणसावदयाघाते एगदुगतिचतुसुं वा / होज अकोसो उग्गहो अधुणा साहारणं वोच्छं 17 // साहारण होजाही पडिलेहण पुव्वपच्छणिग्गमणे / पुव्वं पच्छा पत्ते आयरिए वसभ अज्जासु // 2418 // दुगमादीगच्छाणं पडिलेहगणिग्गताण समग तु। पत्ता खेत्तं एसो पढमभंगो मुणेयव्वो // 2419 // समगं णिग्गम एके पच्छा पत्ता य बितियओ भंगो। पच्छा णि गय पुत्वं पविठ्ठा पच्छा य दुहतो वि 20 // पढमगभंगे जो खलु पुत्विं तु अणुण्णवेंति ते खेत्ती। समगं पुणऽण्णुविए सामण्णं होति दोण्हं पि // 2421 // बितियगभंगे दप्पेण पुचि पत्ता उजदि णऽणुण्णवंते। एयरोसिं असढाण य अणुण्णवेताण खेत्तं तु // 2422 // पुरणिग्गता कहं पुण पच्छा पत्ता उ ते हवेज्जाहि / गेलन्नखमगपारण वाघातो अंतर हवेज्जा // 2423 // गेलन्ने वाउलाणं तु खेत्तमण्णस्स णो दए। णिसिद्धो खमओ चेव तेण तस्स ण लब्भती // 2424