________________ अनुवासनाकल्पः [227] एतेसामण्णतरं अणगाढालंबणे णिसेवेज्जा। तट्ठाणगावराहे संवट्टियमोऽवराहाणं // 2037 // संवट्टियावराहे तवो व छेदो तहेव मूलं वा / आतारपकप्पे जं पमाणणिम्भाणचरिमंमि // 2038 // अद्धाणकप्पो एसो अहुणा अणुवासणाए कप्पं तु। वोच्छामि गुरूवदेसा अणुग्गहट्टा सुविहियाणं 2039 अणुबासंसि तु कप्पे पण्णवग पडुच्च बहुविहा अत्था / अणुवासियाए पगतंसुद्धा य तहा असुद्धा य 2040 अणुवासत्य बहुहा उडुवाते वसण अहव असिवादी। बुड्ढादीवासो वा अह्वा अणुवमणाणुवासो 2041 वसितं पुणो वि वसती अणुवासिगवसहि सामहर्गा सण्णा नीयहिगारो एत्थं सा होज्जा सुद्धऽसुद्धा वा।। पट्टीवंसादीहिं वंसगकडणादिएहिं तह चेव / होति असुद्धा वसही मूलगुणे उत्तरगुणे य // 2043 // काल यातिरित्तं अविसुद्धासुं च तासु वसमाणो / पावलि पायच्छित्तं मोत्तुणं कारणमिमेहिं / / 2044 // असिवे आमोदरिए रायबुट्टे भए व आगाढे / गेलन्ने उत्तिमढे चरित्त सज्जातिए असती // 2045 //