________________ [226] पञ्चकल्प-भाष्ये उवकरणचरित्ताणं विलोवणा सरीरलोयऽणागावे / धम्मकहणिमित्तेणं पुलागकज्जण आगाढे // 2028 / / असिवादिकारणेहिं अद्धाणपवज्जणं अगुणातं / उवकरणपुव्वपडिलेहिएण सत्थंण गंतव्यं / / 2029 / / बच्चंताणं असहू कोती णरिज गंतु देहि अपरकमे तु ताहे तवियं तु इमेांव मग्गेज्जा // 2030 // एमक्खुरे ग दुखुरे दुपए अणुवांधे तह 7 अणुरंगा। अह भद्दए भिजायति असती अणुसहिमादीहिं॥ एगखुरा आसाती दुखुरा उट्टादि दुपय जड्डादी। अणुबंधी सक डाली अणुरंग पिसी तु बोधका 2032 एतेसि पुवुवट्ठ खुरादि जातित सिद्धपुत्ताड़ी। असती य खुड्डतो वा लिंगविवगेण कड्ढति तु 2033 आवासियंमि सत्थे तरसेव तगंषि अप्पिणंति पुणो / अह भणनि गता संला अपोजनाह त्ति मम एवं // ताहे पच्छकडादी चारदी तेसि असनिउ खुड्डो / लिंगविवेगं काउं चारेती जागता ठाणं // 2035 // एवं दुखुरादीसु वि जयणा जा जत्थ सा तु कायव्या। सुत्तत्थजाणएणं अप्पाबहुयं तु णायव्वं // 2016 //