________________ श्रीनुमाया किं खत्त कालो वा सकृयती जेण-तण परिहाणी। भन्नई नसकुयती परिहाणी तेसि तु गुणेहिं / / 32 // भणियं च दूसमाए गाना होहिंति तू मसाणसमा / इय कारण (खेत्त) गुणहाणी काले विउ होहिमा हाणी समए मजएऽणंता परिहायते उ वण्णमादीया / दव्वाईजाया अहारत्तं तत्तियं चेव // 34 // दूसम अणुभावेणं साहूजोग्गा उ दुल्लभा खेत्ता। कालो वि यदुभिक्खा अभिक्खणं होति डमरा य॥ दूसम अणुभावेग य परिहाणी होति ओसहिबलाणं। तेणं मणु पाणं पितु आउगमेहादि परिहाणी(दा) 36 / / संघयणं पि य हीयति इनो यहाणी य घितिबलस्त भवे / विरियं सारीरबलं तपि य परिहाति सत्तं च / / हायलिन सड्ढाओ गहणे परियट्टणे व मणुधाणं / उच्छाही उज्जोगी अणालमत्तं च एगट्ठा // 38 // इय णाड परिहाणि अारमहट्ठाए एम साहणं / णिज्जूहऽकंगाए दिछनेहिं इहिं तु 39 // पगरण चडणकंपा दइहाविदड्लेहिं होयऽगारीणं जह ओने बीचमत्तं रण्णा दिण्णं जणवयस्स // 4 //