________________ _आलोचनकल्पनिय [215] कप्पियाए वि एमेव दो ठाणा उ वियाहिता / जयणा अजयणा चेव एकेका य वियाहिता // 1929 // जस्से व अभिमुहोत्ती जंचेव य कातु विहरते पुरतो। आयरिय उवज्झाया तस्सेव उ तं तु आलोए 1930 // अहवा जं जह सेवित मूलगुणे चेव उत्तरगुणे य / पाणतिवातादीसु य वतेसु तं तं तहालोए // 1931 // अहवा मोक्खाभिमुहो मोक्खट्टाए तु अट्टकम्माणं / अणलोइए ण मुंचति कम्हा इणमो णिसामेहि 1932 जाँद विय तवगुणजुत्तो होति मणुस्सो अणुद्धरिय सल्लो / ण करेति दुक्खमोक्खं सल्लुद्धरणे पि जति यव्वं / / 1933 // सं पुण केरिसगस्स तु वियडेयत्वं तु ? जाणतो जोत / अविजाणते ण कप्पति अजाणतो जो अगीयत्थो / / पायच्छित्तमयाणंतो ठाणे ठाणे अहाविहिं। आलोयणाए उवसंपयाए ण हु होति पाउग्गो 1935 किं कारणं ण याणति सोहिं साहुस्स सोहिकामस्स / ठाणे ठाणे पुढवादिएसु मूलुत्तरे वावि // 1936 // पाणतिवातादीसु य कारणणिकारणे य जयणाए / मालोयण गुणदोसदरिसणेण हु होति पाउग्गो 1937