________________ [214] पञ्चकल्प-भाष्ये चोदे आहारादी उग्गममादी असुद्ध मा भुजे। जं पुण अपेहणादी कालादीहिं उवहयं तु // 1920 // तं पुण सुद्धोवहिणा मा समयं एहिं तु बंधेजा। संघासणं तस्स उ उवघातो मा हु सुद्धस्स // 1921 // भण्णति सुद्धस्स जती संघासेणं तु होति उवघातो। सुद्धण असुद्धस्स वि पावति सुद्धी तवमएणं // 1922 // अह उवघातो त्ति मतं संफासेण उमना विसोही ते। णणु ते इच्छामेत्तं ण य इच्छामेत्तओ सिद्धी 1923 उवघाती विसोही वा णन्थिअ जीवस्स भावतो एसो। उवधानो चिसोही वा परिणामवसेण जीवस्स 1924 सस्सेव पसत्थरस उ परिणामस्स अह रक्खणट्ठाए। कीरति संभोगविही गच्छपमात्तण मा गच्छे 1925 संभोगकप्पदारं एवं खलु वाणितं मए एवं / आलोषणकप्पविहिं एत्तो वोच्छं समासेणं // 1926 // दुविहपडिसेवणाए दोठाण दुयागताण ठाणाणं / जस्से व तु अहिमुहतो आलोएन्जा तदट्ठाए // 1927 // दप्पिया कप्पिया चेव दुविहा पडिसेवणा। एप्पियाए उ दो ठाणा मूले तह उत्तरे चेव // 1928 //