________________ [166] पञ्चकल्प-भाष्ये कितिकम्मस्स य करणे वेयावच्चकरणे इय / ममोसरणसन्निसेज्जा कहाए य पबंधणा // 1490 // उग्गम उप्पाएसण निवेय परिकम्मणा य परिहरणा। मंजोगविहिविभत्ता उवहिमिन वि होति उट्ठाणा // वायण पुच्छणा पडिपुच्छ चिंत परियणा य कहणा य मंजोगविहिविभत्ता सुतठाणे होंति छट्ठाणा // 1492 // उग्गमउप्पाएमण लोयण संभुंजणा णिसिरणा य / मंजोगविहिविभत्ता य भत्तदाणे विछट्ठाणा 1493 वंदिय पणमिय अंजलि गुरुआलोवे अभिग्गहिणिसेज्जा / संजोगविहिविभत्ता अंजलिकम्मे वि छट्टागा // सेजोवहि आहारे सीसगणा अणुप्पयाण सज्झाए। मंजोगविहिविभत्ता दावणाए वि छट्ठाणा // 1495 // सेन्जोवहि आहारे सीसगणाऽणुप्पदाण सज्झाए। मंजोयविहिविभत्ता निमंतणाए वि छट्ठाणा // 1496 // अब्भुट्ठासण अंजलि किंकर अब्भासकरणमविभत्ती। संजोगविहिविभत्ता अब्भुट्ठाणे वि छट्ठाणा॥१४०॥ सुत्तायाम सिरोणय मुद्धाणं सुत्तवज्जियं चेव / संजोगविहिविभत्ता कितिकम्मे होंति छट्ठाणा 1498