________________ [108] पञ्चकल्प-भाष्ये वयराड वच्छ वरणा अच्छा तह मत्तियावति दसण्णा। सोत्तियमती य चेती वीतभयं सिंधुसोवीरा // 971 // महुरा य सूरसेणा पावा भंगी य सामपुरि वट्ठा। सावत्थी य कुणाला कोडीवरिसं च लाढाय // 972 // सेयविया वि य णगरी केततिअद्धं च आरियं भणितं। जत्थुप्पत्ति जिणाणं चक्कीणं रामकण्हाणं // 973 // एतेसु विहरियव्वं खेत्तेसु साहुभाविएसुं तु / जत्थ य गुणा इमे तू खेमाईया मुणेयव्वा // 974 // खेमो सिवो सुभिक्खो अप्पप्पाणो उवस्सयमणुण्णो। एसो तु खेत्तकप्पो (पासंडखेदमुक्को) गामणगर पट्टणाइण्णो // 17 // खेमो डमरविरहितो रोगासिवविरहितो सिवो होति। पउरण्णपाणदेसो होइ सुभिक्खो मुणेयव्यो / दा९७६ जलगा-संखण-मूइंगपिसुगमसगादिविरहितो जोतु। सो होति अप्पपाणो अप्प अभावम्मि थेवे य। दा 977 समभूमि-रेणुवजिय-रितुक्खमोवस्सया मणुण्णाओ। गामणगरा वि य बहू पाउग्गा मासकप्पस्स // 978 // सज्जणजणो य भद्दो जहियं च मणुण्णसाहुजोणीओ तारिसए खेत्तंमी समणुण्णातो विहारोतु। दा // 979 //