________________ [104] पञ्चकल्प-भाष्ये तित्तीसं चेव सता सट्ठहिगा तू चउक्कसंजोगे। दस चेव सहस्साई णववीसहियाइं पंचमए // 936 // छत्तीस सहस्साइं दो चेव सताइं अट्ठ सहियाई। अडयालं च सहस्सा अडयाला होति सत्तमए / / 937 अट्ठठि सहस्साइं छच्चेव सयाइं होंति चत्तारि / सत्तत्तरिं सहस्सा दो चेव सया भवे वीसा // 938 // एमेव उक्कमेण वि णवमाउ परेण हंति बोधव्वा / छण्हती जा सोले छच्चेव पदा मुणेयव्वा // 939 // एवं पण्णरस य [वीस य] वीसएण पण्णरस छक्क एक्केणं / पत्तेयं पत्तेयं गुणिएणं रासिणो मुणसु॥९४०॥ दोण्णि सया चत्ताला अट्ठारसया य होंति णायवा। अट्ठ सहस्सा चउसय ततिए मीसम्मि संजोगा 941 सत्तावीस सहस्सा तिणि सता चेव होंति णायव्वा। पण्णठि सहस्साइं पंचसया वीस अहिया य // 942 // एकं च सयसहस्सं वीस सहस्सा सयं च वीसहियं / एक्कत्तार सहस्सा लक्खेको छस्सता चेव // 943 // एक्कं च सतसहस्सं तेणउइ सहस्स तहय पण्णांसा। उक्कमतो सत्तेव य ठाणाइं ततो य पण्णरस // 944 //