________________ एकसंयोगादिभङ्गसङ्ख्यामानम् [103] छक्कग. सोलसगाणं जीवमजीवाण दोण्ह कप्पाणं / एक्कगजोगादीणं संखमाणं इमं होति // 927 // छच्चेव य पण्णरसा वीसा पण्णरस छक्क एको य। एकगसंजोगादी छव्विह सचित्तकप्पम्मि // 928 // सोलम वीसं च सयं पंचव सयाई होति सट्ठाई। अट्टारस वीसाई तेयालं अट्ठसठ्ठाइं // 929 // अट्टेव महस्साई अट्ठहियाई अजीवछट्टम्मि / एक्कारम य सहस्सा चत्तारि सया तहा चत्ता / / 930 // बारस चेव सहस्सा अटेव सया उ सत्तरा होति / अट्ठममंजोगम्मि वि उकमतो एव जावेको // 13 // सचित्तदवियकप्पो तेवठ्ठी होति सव्वसंजोगा। पंचसता पणतीसा पण्णठि सहस्स अच्चिते // 932 // सचित्तअचित्ताणं एते भणिया तु सव्वसंजोगा। पत्तेयं पत्तेयं एत्तो मीसाण वोच्छामि // 933 // अचित्तदव्वकप्पे संजोग पिहिप्पिहे ठवेऊणं / जितकप्पे (क्कग) कमसंजोगगुणित तेसिं फलमिणं तु छण्णउनि संजोगा दुगसंजोगम्भि मीसए कप्पे / सत्तसया वीसहिगा तियसंजोगाण बोधव्वा // 935 / /