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________________ (2) भाष्यनी 602 मी गाथा उपरथी तेमना सत्तासमय माटे एक प्रकाशन आर्छ किरण प्राप्त थाय छे. जे किरणने आधारे एम मानी शकाय के-तओ जिनदासगणिमहत्तर (निशीप सूत्र उपर विशेष चूर्णिमा )ना समकालीन छे. अने भाष्यनी रचना आवश्यक चूर्णिनी पछीनी अने पंचकल्पचूर्णि के जे लघुभाष्य उपर छे. तेनी पहेलां थश्ली छ. जुओ- पृ.६७ 'परिजुण्णसा भणिता सुविणे देवीए पुष्फचूलाए / नरगाण सणणं पव्व जाऽऽवस्सए वुत्ता // 609 // आमां भाष्यकार पुष्पचूलाना दृष्टांत माटे आवश्यकनो निर्देश करे छे. आ दृष्टांत आवश्यक नियुक्ति के भाष्यमां क्यांय नथी. आवश्यक चूर्णिमांछे. त्यां पण अर्णिका पुत्र आचार्यनुं दृष्टांत छ तेमां अवांतर प्रसंग आवे छे. जो चूर्णि पहेला आनी रचना होय तो आ निर्देश न होय. आथी सिद्ध थाय छ के- आनी रचना आवश्यकचूर्णि पछी थइ छे. आ गाथा उपरथी आटली कडी प्राप्त थाय छे अने ए कडी मने एवी संभावना उपर लइ जाय छ केभाष्यना रचयिता' आवश्यकचूर्णि पंचकल्पचर्णि (लघु) निशीथविशेषचूर्णि, आधनियुक्तिचूर्णि, पिंडनियुक्तिचूर्णि, बृहत्कल्पचूर्णिना कर्ता श्री जिनदासगाण महत्तर जाहोय? जो केआ तो एक संभावना छ, अने ते पण खास महत्त्वना प्रमाण वगरनी छ. माटे आनी उपर घणुं संशोधन जरुरी छ. उपरोक्त प्रकाशनुं आर्छ किरण आटलाथी वधु माहितीदर्शक बनी शकतुं नथी... टुंकमां पटलुंज के- आना कता संघदासगणिक्षमाश्रयण के संघदास क्षमाश्रमण के अन्य कोइ ते निीत करी शकतो नथी. .1 जनानंद पु० सु०) हस्तलिखित पंचकल्पचूर्णिती प्रतिना पत्रांक 33 / 2 उपर 'एतदुपरिष्टात्तस्मिन्नेव कल्पे प्रथमोद्देशके मासकल्पद्वितीयसूत्रे व्याख्यास्यामः' तथा 'व्यवहारसमे
SR No.004385
Book TitlePanchkappabhasam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLabhsagar
PublisherAgamoddharak Granthmala
Publication Year
Total Pages332
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_panchakalpa_bhashya
File Size16 MB
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