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________________ (8) आ महापुरुषनी विद्यमानतानो समय निर्देश पण चोकस प्राप्त थतो न होवाथी तथा ते पूज्यधीना जीवन कवन विषे कोई खास नोधो-उल्लेखो प्राप्त न होवाथी आ महापुरुषो विषेनी घणी बाबतो अनिर्णीत रहे छे. तेथी ए पण निर्णीत थइ शकतुं नथी. साखा नामना रचयिताए रचेला भिन्न भिन्न ग्रंथोना कर्ता एकज क अन्य! जेम कल्पलघुभाष्यना कर्ता तरीके पण संघदाप गणिक्षाश्रमणनाम आवे छ, अने प्रस्तुत भाष्यना कर्तार्नु नाम पण आज छ. व प्रश्न थाय छे के- बंनना कर्ता पक के अन्य समयनिर्देश प्राप्त न थतो होवार्थी आ बधुं अनिर्णीत रहे छे... सामान्यतया तीर्थकरो सिवाय कोइ जन्मथी महान् होनी . व्यक्तिओ महान बने छ, चामशी ना पण कार्यथो. आया महान् पुरुषांना जीवनमां नाम नहिं पण काम वणाइ गएलु होय छ. ए कामज विश्वनी अन्य व्यक्तिओना हृदयसिंहासन उपरममा नामने सम्राट तरीके स्थापे छे, अने चिरस्थायी बनावे छे. आज प्रमाणे भाष्यकार भगवाने पण भाष्यमां क्यांय पोतानो नामनिर्देश सुद्धा कर्यों नथी तो पोताना जीवनने लगती बाबतनो उल्लेख ज क्यांथी होय? तेमनी पछीना ग्रंथकारो या इतिहासकारोए पण एमना विषनी विगती जणावी नथी, अने जणावी होय तो आपणने प्राप्त नथी एटले एटलं मान रह्य छ के-आ महापुरुषना जीवन विषे अंधकारमा छीए. अलबत्त प्रस्तुत उमेर्यो छे. ते 'क्षमाश्रमण गणि वाचक दिवाकर' पूर्वता अभ्यासी आचार्यों माटे वपराता एकार्थिक शब्दो छे. तेथी में आ शब्दप्रयोग कर्यो छे. छतां पण ग्रंथना अंते तो ह.प्र. मां 'संघदासक्षमाधरण' शब्द उल्लेख्यो छे. जेथी विद्वानो विचारी शक के आनी पालन कोइ रहस्य छे के लेखकदोष छे.
SR No.004385
Book TitlePanchkappabhasam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLabhsagar
PublisherAgamoddharak Granthmala
Publication Year
Total Pages332
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_panchakalpa_bhashya
File Size16 MB
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