________________ 192 अभिधर्मदीपे [227: बिम्बफलाताम्रनात्यायतसमस्नि[IV. A, 6. Fol. 100 b.]ग्ध रुचिरोष्ठाः // 57 / / बन्धूकपुष्पोपमंश्लक्ष्णदशनमासाः // 56 // . शुचिस्निग्धस्पष्टरचनाक्षीणदन्ताः // 56 / / अनुपूर्ववत्तस्निग्धतीक्ष्णसमसितदंष्ट्राः // 60 // सप्रयोजनदक्षिणदन्तरश्मिप्रदर्शितमुहूर्तस्मिताः // 61 // अपमलमृदुताम्रस्निग्धजि ह्वाः // 62 // नित्योष्णश्लक्ष्णमांसजालगजतालुसमवर्णतालवः // 63 / / धुरोच्चा यतसंगततुङ्गनासाः / / 64 / / अघनमृदुदृढमूलस्निग्धतनुनीलकुण्डलितस्मश्रुवः // 65 // अनुन्नतातीक्ष्णमांसलमाष्टिपिण्डितगण्डाः // 66 // आदर्शसमोपचिताश्लथरुचिरकपोलाः // 67 // पीनायतसमानु(नो) पहतचारुकर्णाः // 68 / / ललाटकर्णगण्डसन्धिश्लेषाणि (नि)म्नपूर्णचन्द्राकृतिशङ्खाः // 69 // विशालायतस्निग्धमधुरप्रसन्नसमनेत्राः // 70 // प्रहसिताञ्चिताग्रपक्षमाणः // 7 // सोम्यभ्राजिष्णुस्थिरविसन्धिदृष्टयः // 72 // अपरिमितबलत्वादपगतोन्मेषनिमेषाः // 73 // दीर्घासितश्लक्ष्णानुपूर्ववर्तितस्निग्धतनुभ्र वः / / 74 / / काञ्चनपट्टश्लक्ष्णार्धचन्द्राकृतिविपुलललाटाः // 7 // , परिपूर्णचन्द्रमण्डल समवदनाः // 76 / / एकघनवज्र संहतशिरस्कपालाः / / 77 // सुपरिपूर्णच्छत्राकृतिशिरसः // 7 // श्लक्ष्णचितासंलुडितपलितदोषापनतभ्रमराभस्निग्धमृदुसुबद्धमूलसुरभि स्वस्तिकनन्द्यावर्ताकृतिकेशरचणा: (नाः) // 79 // ससुरासुरमनुजादिलोकानवलोकितमूर्धानः / / 8 / / अथ तदाद्यं बोधिचित्तं' बोधिसत्त्वानां दीढर्येण कथमिव द्रष्टव्यम् ? नैतल्लौकिकेन 'वस्तुनोपपादयितुं शक्यम् / कस्मात् ? यतः 1 तत्रादौ गोत्रसामर्थ्यात् कृपाबीजप्रबोधतः / प्रेयीगाशयसम्पत्त्या बोधिचित्तपरिग्रहः॥ Aaa.p. 29. बोधिचित्तमिति बोध्यर्थ चित्तं प्रणिधिप्रस्थानात्मकं चित्तम् ।""अथवानुत्पादिरूपबोधि